ग्वालियर शहर में नगर निगम ने खोले नये 9 रैनबसेरा
ग्वालियर: ग्वालियर शहर में नगर निगम द्वारा संचालित 9 रैनबसेरा हैं. प्रत्येक रैनबसेरा में 40 की संख्या में बिस्तर व रजाई आदि है जिसमें व्यक्ति निशुल्क ठहर सकते हैं. लेकिन इसके बाद भी सैकड़ों की संख्या में भिक्षुक व मजदूर हैं जो कि कड़ाके की ठण्ड में सड़कों पर रात बिताने पर मजबूर हैं. नईदुनिया की टीम ने अचलेश्वर महादेव मंदिर स्थित कड़ाके की ठण्ड में बैठे भिक्षुकों से बात की और उनसे पूछा कि वह रैनबसेरा में क्यों नहीं जाते. सभी ने कहाकि उन्हें अंदर नहीं जाने दिया जाता है. जब कोई चैकिंग या अभियान चलाया जाता है तो रैनबसेरा के अधिकारी उन्हें सोने के लिए बुला लेते हैं लेकिन दो से तीन दिन बाद भगा देते हैं। इसलिए भिक्षुक रैन बसेरा में रात नहीं बिताते हैं.
इंदौर नगर निगम द्वारा भिक्षुकों के साथ की गई बेदर्दी के बाद ग्वालियर शहर की सड़कों पर सोने वाले भिक्षुकों से नईदुनिया ने बात की और रैनबसेरा की मौजूदा हालात के कैमरे से फोटो लिए. रैन बसेरा वैसे तो कहने के लिए 9 हैं, लेकिन इनकी सुविधा आमजनों और जरूरतमंदों तक नहीं पहुंचती है. शासन की मंशा थी कि कोई भी जरूरतमंद व्यक्ति रात के समय खुले आसमान के नीचे नहीं सोए. इसके लिए उन्होंने रैनबसेरा बनाए. रैनबसेरा बनाने के लिए ऐसे स्थानाें का चयन किया गया जहां पर सर्वाधिक जरूरतमंद लोग मिलते हैं. लेकिन इन जरूरतमंदों को रैनबसेराओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है.