एमपी परिवहन घोटाला: ट्रांसपोर्ट एसोसियेशन ने PM मोदी से CBI जांच कराने की मांग की, सौरभ की नौकरी का फर्जीवाड़ा भी आया सामने….
भोपाल : मध्य प्रदेश में सामने आये परिवहन घोटाले ने प्रदेश की सियासत का पारा सर्दी में बढ़ा कर रखा है, कांग्रेस का दावा है कि सौरभ शर्मा से बरामद करोड़ों की संपत्ति में मंत्री और अफसरों का भी हिस्सा है उनपर भी शिकंजा कसा जाये वहीं कई और नाम होने का अंदेशा भी है उधर अब इस मामले में परिवहन विभाग में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ लंबे समय से लड़ाई लड़ रही ट्रांसपोर्ट एसोसियेशन की भी एंट्री हो गई है, एसोसियेशन ने पीएम मोदी से इस मामले की सीबीआई से जाँच कराने की मांग की है।
परिवहन विभाग के पूर्व सिपाही सौरभ शर्मा के यहाँ छापे में मिला करोड़ों रुपये का सोना, चांदी और कैश किसका है? इस घोटाले में कौन कौन शामिल है? क्या पूर्व परिवहन मंत्रियों की भी इसमें कोई भूमिका है? ये सवाल प्रदेश के लोगों के मन में भी है, कांग्रेस नेता तो मुखर होकर नाम भी ले रहे हैं लेकिन जो नाम लिए जा रहे हैं उनकी क्या भूमिका है ये जाँच का विषय है।
इंदौर ट्रक ऑपरेटर एंड ट्रांसपोर्ट एसोसियेशन ने की CBI जाँच की मांग
इधर इस मामले में इंदौर ट्रक ऑपरेटर एंड ट्रांसपोर्ट एसोसियेशन भी एक्टिव हो गई है , एसोसियेशन लंबे समय से परिवहन विभाग के चैक पोस्टों पर की जा रही अवैध वसूली के खिलाफ लड़ाई लड़ रही थी जिसके बाद मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने सभी परिवहन चैक पोस्ट बंद करने के साहसिक फैसला लिया, अब ट्रांसपोर्ट एसोसियेशन ने आज मध्य प्रदेश आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस घोटाले की सीबी आई से जाँच कराने की मांग की है।
परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का पत्र फेंका रद्दी की टोकरी में
आपको बता दें कि मध्य प्रदेश के परिवहन विभाग में फैले भ्रष्टाचार को लेकर केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव इक़बाल सिंह बैस को पत्र लिखकर एंट्री के नाम पर ट्रक से की जाने वाली अवैध वसूली पर नाराजगी जताई थी और रोकने के लिए कहा था, गडकरी ने इस पत्र की कॉपी तात्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और तत्कालीन परिवहन मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत को भी भेजी थी लेकिन केंद्रीय मंत्री के पत्र को रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया और अवैध वसूली बदस्तूर जारी रही।
अनुकंपा नियुक्ति के लिए लगाया पत्र फर्जी होने का दावा
उधर इस घोटाले के मुख्य आरोपी सौरभ शर्मा की परिवहन विभाग में नियुक्ति को लेकर भी अब खुलासे हो रहे हैं, इसकी वजह ये है कि सौरभ शर्मा के पिता ग्वालियर में स्वास्थ्य विभाग में सेवारत थे , उनकी मृत्यु के बाद सौरभ ने नियमानुसार स्वास्थ्य विभाग में अनुकंपा नियुक्ति का आवेदन दिया लेकिन ग्वालियर सीएमएचओ कार्यालय में स्वास्थ्य आयुक्त को पत्र लिखकर उनके यहाँ पद खाली नहीं होने के हवाला देकर किसी और विभाग में नौकरी देने की अनुशंसा कर दी, अब कहा जा रहा है कि ये पत्र फर्जी है।
माँ ने दिए एफिडेविट में भी छिपाए तथ्य
इसके अलावा सौरभ शर्मा की नियुक्ति के लिए उनकी माँ द्वारा दिया गया एफिडेविट में भी तथ्य छिपाने की बात सामने आई है, एफिडेविट में सौरभ की माँ ने अपने बड़े बेटे को उसके परिवार सहित छत्तीसगढ़ में रहना तो बताया लेकिन वो सरकारी नौकरी में है ये बात छिपा ली, खुद को पति पर ही आश्रित होने की बात बताकर सौरभ को नौकरी देने का अनुरोश शासन से किया था।
जाँच एजेंसिया एक्टिव
अब जब ये घोटाला सामने आया जिसमें सौरभ के पास से करोड़ों रुपये की संपत्ति मिली है तब ये फर्जीवाड़े उजागर हो रह हैं, गौरतलब है कि लोकायुक्त ने इस मामले की जाँच के लिए तीन सदस्यीय स्पेशल टीम बना दी है, लोकायुक्त ने सौरभ की माँ और पत्नी को समन भेज दिए हैं, ई डी ने सौरभ सौरभ शर्मा और उसके सहयोगी चेतन सिंह गौर के खिलाफ मनी लॉंन्ड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज कर लिया है, डीआरआई भी कार से मिले सोने की जाँच करने की कार्रवाई कर रही है, अब देखना ये है कि इस मामले में और कौन सी जाँच एजेंसी की एंट्री होती है।