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MP : बाढ़ सर्वे और मुआवजे को लेकर खड़े हुए सवाल, नपा अध्यक्ष प्रतिनिधि और तहसीलदार में हुई बहस, एसडीएम ने दिया आश्वासन…

भोपाल : डबरा में कुछ समय पहले आई बाढ़ ने शहर के कई इलाकों को जलमग्न कर दिया था, इसके बाद कई लोग बेघर हो गए थे। कई लोगों के घर का पूरा सामान बाढ़ में खराब हो गया था। इस नुकसान को लेकर मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने सभी अधिकारियों को निर्देशित किया था कि बाढ़ में हुए नुकसान का लोगों को उचित मुआवजा दिया जाए और बेहतर तरीके से सर्वे को पूरा किया जाए। डबरा नगर प्रशासन द्वारा भी सरकार के निर्देश का पालन किया गया और बाढ़ पीड़ितों को सर्वे कर उचित मुआवजा दिया गया। लेकिन आज नगर पालिका अध्यक्ष डबरा प्रतिनिधि ने मुआवजे को लेकर डबरा नगर प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

तहसील परिसर पहुंचे नपा अध्यक्ष प्रतिनिधि

मामला डबरा तहसील का है जहां नपा अध्यक्ष प्रतिनिधि बंटी राजा नगर परिषद के सदस्यों को लेकर पहुंचे थे, जिसके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। वीडियो में बंटी राजा और तहसीलदार के बीच तू तू मैं मैं भी देखने को मिल रही है। वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि तहसीलदार विनीत गोयल अध्यक्ष प्रतिनिधि से कह रहे हैं कि जो वास्तविक हकदार हैं उन्हें मुआवजा दिया जाएगा अन्यथा दबाव में आकर में किसी को मुआवजा नहीं दूंगा।

क्या बोले अध्यक्ष प्रतिनिधि

जब इस बात को लेकर अध्यक्ष प्रतिनिधि बंटी राजा से बात की गई तब उन्होंने बताया कि उनका  वार्ड क्रमांक 7 बाढ़ग्रस्त था, बावजूद इसके अब तक प्रशासन द्वारा उनके बाढ़ में सर्वे नहीं कराया गया है और ना ही उचित मुआवजा दिया गया है। जिन लोगों को मुआवजा दिया गया है वह नुकसान का मात्र 10 से 15% है। अध्यक्ष प्रतिनिधि ने यह भी कहा कि मैं प्रशासन से कहना चाहता हूं कि जिन-जिन का नुकसान हुआ है उन सभी को उचित मुआवजा दिया जाए।

SDM ने दिया आश्वासन

इस मांग को लेकर बंटी राजा ने डबरा एसडीएम दिव्यांशु चौधरी के सामने भी बात रखी और उचित मुहावरे की मांग की। इस बात पर एसडीम डबरा ने आश्वासन देते हुए कहा कि जिन स्थानों पर आप सर्वे और मुआवजे की मांग कर रहे हैं उन्हें एक आवेदन के तौर पर मुझे दिन में उचित कार्यवाही कर आगे की प्रक्रिया को निर्धारित करूंगा।

खड़े हुए कई सवाल

इस पूरी घटना के बाद सबसे बड़ा सवाल यह सामने आता है कि जब नगर पालिका अध्यक्ष प्रतिनिधि को अपने वार्ड के सर्वे के लिए प्रशासनिक अधिकारियों से मांग करनी पड़ रही है यहां तक कि तू तू मैं मैं तक बात पहुंच रही है तो आम इंसान जिसके पास कोई आधार नहीं है वह अपनी बात प्रशासन तक कैसे पहुंचा रहा होगा। निश्चित तौर पर इसके लिए आला अधिकारी नहीं जमीन पर काम करने वाले पटवारी, RI व अन्य कर्मचारी जिम्मेदार हैं। पर एक बड़ा सवाल यह भी सामने आता है कि यदि इसमें निचले स्तर के कर्मचारियों की लापरवाही निकलेगी तो क्या आला अधिकारी उन पर कार्रवाई करेंगे?