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MP : कर्मचारियों के वेतन वृद्धि का मामला, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को लगाई फटकार, 3 सप्ताह के अंदर मांगी ये रिपोर्ट…

भोपाल : मध्यप्रदेश के जबलपुर, इंदौर और ग्वालियर हाई कोर्ट में पदस्थ कर्मचारियों का वेतन ना बढ़ाए जाने के मामले में सरकार को कड़ी फटकार लगाई है और दो टूक शब्दों में कहा है कि इस मामले में जल्द फैसला लिया जाए,वरना कड़ी कार्रवाई के लिए तैयार रहे। वहीं इस मामले में चीफ सेक्रेटरी वीरा राणा ने वर्चुअल पेश होते हुए कहा कि राज्य सरकार को इस बाबत मोहल्ला दी जाए। हाईकोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी के बयान को रिकॉर्ड में लेते हुए 3 सप्ताह के अंदर पूर्व आदेश के पालन की रिपोर्ट मांगी है।

3 हफ्ते में राज्य सरकार से मांगी रिपोर्ट

दरअसल, बुधवार को मप्र हाईकोर्ट के कर्मचारियों के उच्च वेतनमान से जुड़े मामले में प्रदेश की मुख्य सचिव वीरा राणा वर्चुअली हाजिर हुईं और उन्होंने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि राज्य सरकार की मंशा कोर्ट के आदेश का पालन करने की है, इसके लिए कुछ समय दिया जाए। इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि आखिर कब तक आदेश पालन का इंतजार किया जाएगा। यह मामला कई वर्षों से लंबित है, इसलिए अब और मोहलत नहीं दी जा सकती। सुनवाई के बाद एक्टिंग चीफ जस्टिस शील नागू व जस्टिस अमरनाथ केसरवानी की युगलीपीठ ने मुख्य सचिव पर अवमानना के आरोप तय करने के संबंध में अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया और तीन सप्ताह के भीतर पूर्व के आदेश की पालन रिपोर्ट मांगी है

ये है पूरा मामला

  • लंबे समय से मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में पदस्थ 109 कर्मचारियों का वेतन नहीं बढ़ा है, इसके लिए 2016 में कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर उच्च वेतनमान और भत्ते देने की गुहार लगाई थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने पक्ष रखा और बताया कि इस मामले में हाईकोर्ट ने 2017 में राज्य सरकार को वेतन भत्ते जारी करने के आदेश दिए थे, बावजूद इसके कोई फैसला नहीं लिया गया।
  • इसके बाद आदेश का पालन नहीं होने पर 2018 में अवमानना याचिका प्रस्तुत की गई। इसके बाद विशेष कमेटी की रिपोर्ट 21 मई 2022 को एक बंद लिफाफे में सरकार ने रिपोर्ट पेश की  थी लेकिन आज तक कर्मचारियों के वेतन बढ़ोतरी पर कोई फैसला नहीं हुआ।
  • इसके पहले कोर्ट के आदेशों के परिपालन का रास्ता निकालने एक कमेटी का गठन किया था। कमेटी में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल, विधि एवं विधायी कार्य विभाग के प्रमुख सचिव, वित्त विभाग के प्रमुख सचिव और एडीशनल चीफ सेक्रेटरी शामिल थेअब 2024 में हाईकोर्ट ने एक बार फिर राज्य सरकार को इस मामले में फटकार लगाई है और सख्त रवैया अपनाते हुए तीन हफ्ते के अंदर  जवाब तलब किया है ।