एमपी के किसानों को होगा सबसे ज़्यादा नुक़सान इस काले कानून से: कमलनाथ
मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमल नाथ ने कहा है कि मोदी सरकार के लाए तीनों कृषि कानून सही मायने में काले कानून हैं. उन्होंने कहा कि इन क़ानूनों की वजह से सबसे ज़्यादा नुक़सान मध्य प्रदेश के किसानों को होगा. कमल नाथ ने ये एलान भी किया कि कांग्रेस पार्टी प्रदेश के किसानों को जागरूक करने के लिए पूरे राज्य में किसान सम्मेलन करेगी, जिसकी शुरुआत 16 जनवरी को छिंदवाड़ा से होगी. कमलनाथ ने ये बातें आज भोपाल में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहीं. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह समेत कांग्रेस के कई और दिग्गज नेता भी प्रेस कॉन्फ़्रेंस में शामिल हुए.
कमलनाथ ने आरोप लगाया कि कृषि कानून की वजह से अगर किसी राज्य के किसानों को सबसे ज्यादा नुक़सान होगा तो वह है मध्य प्रदेश. ऐसा इसलिए क्योंकि अभी प्रदेश में केवल बीस फीसदी ही किसानों को एमएसपी का लाभ मिल पाता है. जबकि नए क़ानून की वजह से आने वाले दिनों में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP मिलने की संभावना भी खत्म हो जाएगी.
कमलनाथ ने कहा कि ये क़ानून कितने ग़लत हैं, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब तो एनडीए में शामिल रही पार्टियाँ भी उनका विरोध करने लगी हैं. उन्होंने कहा कि किसानों के बारे में सरकार की सोच में बहुत खोट है. कमल नाथ ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के नए कृषि क़ानूनों के ज़रिए देश के किसानों को क़ॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए मजबूर कर दिया जाएगा.
मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष ने कहा कि मोदी सरकार के लाए कृषि कानून सिर्फ़ कृषि क्षेत्र का निजीकरण करने का काम करेंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि जनसंघ के लोग आज़ादी के बाद से ही देश के उद्योग धंधों का निजीकरण करने की वकालत करते रहे. इंदिरा गांधी ने जब बैंकों के राष्ट्रीयकरण का महत्वपूर्ण कदम उठाया तो उसका भी जनसंघ ने विरोध किया था. कमलनाथ ने यह भी याद दिलाया कि उनकी सरकार ने किसानों की कर्जमाफी का काम शुरू किया था, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस बारे में लगातार झूठ बोलते रहे.
उन्होंने कहा कि देश के कृषि क्षेत्र में क्रांति लाने में पंडित जवाहरलाल नेहरू, लालबहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी जैसे देश के महान नेताओं का बड़ा योगदान रहा है. जबकि बीजेपी की सोच किसानों के हित में कभी नहीं रही.