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MP : सोम डिस्टलरीज में बाल श्रम मामले में CWC अध्यक्ष अतुल दुबे ने किया बड़ा खुलासा, जानिए क्या कहा…

भोपाल : रायसेन स्थित सोम डिस्टलरीज में बच्चों से काम कराने की घटना में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं। वहीं अब इस मामले में CWC अध्यक्ष अतुल दुबे ने एक बड़ा खुलासा किया है। अतुल दुबे ने इस पूरे मामले का पर्दाफाश किया है। दरअसल राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने मध्य प्रदेश दौरे के दौरान इस फैक्ट्री पर छापा मारा था और चौंकाने वाली जानकारी सामने आई थी। उन्होंने मासूम बच्चों को रेस्क्यू कर प्रशासन को सौंपा, लेकिन कुछ बच्चे गायब हो गए थे। वहीं समूह संपादक वीरेंद्र शर्मा ने इस मुद्दे पर CWC (बाल कल्याण समिति) के अध्यक्ष अतुल दुबे से विशेष बातचीत की।

दस्तावेजों की अनुपलब्धता और पहचान का मुद्दा:

दरअसल इस मामले पर CWC (बाल कल्याण समिति) के अध्यक्ष अतुल दुबे का कहना है कि रेस्क्यू किए गए बच्चों के दस्तावेज जब फैक्ट्री संचालक या जिम्मेदार अधिकारियों से मांगे गए तो उनके पास कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं थे। इस कारण बच्चों की पहचान के लिए उनके परिजनों के माध्यम से दस्तावेज जुटाए गए। बच्चों की उम्र का सत्यापन किया गया, जो बाल कल्याण समिति के लिए महत्वपूर्ण था।

नाबालिग बच्चों की संख्या और काम की परिस्थितियां:

वहीं अतुल दुबे ने बताया कि जांच में 39 बच्चों में से 32 नाबालिग पाए गए है, जिनमें 20 लड़कियों में से 11 नाबालिग थीं। इन बच्चों की उम्र 13 से 21 वर्ष के बीच थी और इन्हें ₹300 से ₹400 तक का भुगतान किया जाता था। इन्हें स्थानीय ठेकेदारों द्वारा आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों से लाया जाता था। इसके साथ ही बच्चों से लगभग 11-12 घंटे काम कराया जाता था।

प्रशासन की मिलीभगत और धोखा:

दरअसल अध्यक्ष अतुल दुबे ने एक बड़ा बयान दिया और बताया कि “प्रशासन की मिलीभगत से यह धंधा लंबे समय से चल रहा था। बच्चों को स्कूल की बस में लोअर टी-शर्ट पहनाकर लाया जाता था ताकि वे छात्र की तरह दिखें और किसी को संदेह न हो। मार्च माह में CWC ने पहली बार फैक्ट्री का जायजा लिया था और तब भी माइनर बच्चे पाए गए थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई थी।”

जानिए क्या है पूरा मामला?

बाल श्रम निरोधक माह के दौरान NCPCR के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने रायसेन में सोम डिस्टलरीज पर छापा मारा था। शिकायत के आधार पर की गई जांच में 50 से अधिक बच्चे, जिनमें 20 लड़कियाँ भी शामिल थीं, शराब बनाने का काम करते हुए पाए गए। इनमें से कई बच्चों के हाथ की चमड़ी रसायनों के संपर्क में आने से जल चुकी थी। बच्चों को रेस्क्यू कर प्रशासन को सौंपा गया और एफआईआर दर्ज की गई। आबकारी विभाग की देखरेख में संचालित इस फैक्ट्री के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है।