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MP : एम्स भोपाल में “खुशी एक भूला हुआ पहलू और खुशी का विज्ञान” पर सीएमई…

 AIIMS NEWS : एम्स भोपाल में “सेंटर ऑफ हैप्पीनेस ” का उद्घाटन 4 अगस्त 2023 को प्रोफेसर डॉ. अजय सिंह, कार्यपालक निदेशक और सीईओ एम्स भोपाल द्वारा किया गया था। अपनी स्थापना के बाद से, केंद्र ने संकाय, पुरानी बीमारी के मरीज़ और उनकी देखभाल करने वाले और छात्रों के लाभ के लिए खुशी के विज्ञान पर सक्रिय रूप से कई सत्र आयोजित किए हैं। उसी की निरंतरता में, सेंटर ऑफ हैप्पीनेस एम्स भोपाल ने 11 जनवरी 2024 को “खुशी एक भूला हुआ पहलू और खुशी का विज्ञान” विषय पर एक सीएमई कार्यक्रम आयोजित किया।

ज्ञानवर्धक सत्र

डॉ. सतिंदर सिंह रेखी द्वारा मेडिकल एवं नर्सिंग छात्रों के साथ-साथ एम्स भोपाल के संकाय सदस्यों के लिए “आपका जीवन कौन चला रहा है- आप या आपका बंदर मस्तिष्क?” विषय पर एक ज्ञानवर्धक सत्र आयोजित किया गया। डॉ. सतिंदर सिंह रेखी, आईआईटी खड़गपुर के पूर्व छात्र और आईआईटी खड़गपुर में खुशी के विज्ञान के लिए रेखी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के अध्यक्ष भी हैं। डॉ. रेखी ने सकारात्मक सोच की भूमिका पर जोर देते हुए बताया कि यह हमारी भावनात्मक सोच और हमारे काम को कैसे प्रभावित करती है। इस अवसर पर, रेखी फाउंडेशन ऑफ हैप्पीनेस और सेंटर ऑफ हैप्पीनेस एम्स भोपाल के बीच दोनों निकायों के बीच एक अकादमिक सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए गए, जो खुशी के विज्ञान को समझने में और सुविधा प्रदान करेगा।

गतिविधियों को संतुलित करने की भूमिका पर जोर

एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक और सीईओ प्रोफेसर (डॉ ) अजय सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि मेडिकल संस्थानों में डॉक्टरों, मेडिकल छात्रों और पैरामेडिक्स को अत्यधिक तनाव का सामना करना पड़ता है और ख़ुशी की वैज्ञानिक समझ विकसित करने से व्यक्तियों को अधिक आशावादी बनने और स्वयं और दूसरों की सराहना करने में मदद मिलेगी। एम्स भोपाल के उपनिदेशक (प्र) कर्नल (डॉ.) अजीत कुमार ने छात्रों, नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ, रेजिडेंट्स सहित पूरी चिकित्सा बिरादरी के लाभ के लिए इस प्रकार की शैक्षिक वार्ता के आयोजन का स्वागत किया। डीन (एकेडेमिक्स ) प्रो. रजनीश जोशी ने खुशी बनाए रखने के लिए सभी प्रकार की गतिविधियों को संतुलित करने की भूमिका पर जोर दिया। प्रोफेसर विजेंद्र सिंह, एचओडी मनोचिकित्सा और डॉ. स्नेहिल गुप्ता ने वर्तमान समय में खुशी को समझने और इसे प्राप्त करने के विषय पर संकाय और छात्रों को प्रबुद्ध किया। कार्यक्रम इस निष्कर्ष के साथ समाप्त हुआ कि सकारात्मक मनोविज्ञान खुशी और भावनात्मक कल्याण को बढ़ावा देने में मदद करता है।