एनजीओ कार्यकर्ता की मदद से मां ने अपहृत बेटी को चार महीने बाद खोज निकाला
मंडला। यह कहानी फिल्मी नहीं वास्तविक है। जब पुलिस प्रशासन से कोई आशा न बची हो तो अपनी सुरक्षा और वजूद के लिए आपको ही कुछ करना होगा। 16 साल की बेटी के अपहरण का केस मां ने पुलिस थाने में दर्ज कराया था, लेकिन पुलिस की तरफ से कोई सुनवाई न होने पर एनजीओ कार्यकर्ता से मदद मांगी। जिसके बाद एनजीओ कार्यकर्ताओं ने कोरोना सर्वे का हवाला देते हुए अपहृत लोगों को खोज निकाला।
मंडला जिले की बिछिया थाना पुलिस ने सागर के धुवारा गांव की महिला अनीता यादव पर अपहरण का केस दर्ज किया है। लड़की की मां ने मंडला पुलिस पर आरोप लगाया कि उसने चार महीने पहले बेटी के अपहरण किए जाने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उसने सागर की अनीता यादव पर शक भी जाहिर किया था। लेकिन पुलिस ने उसकी एक नहीं सुनी। इसके बाद विवेक पवार और प्रशांत दुबे नामक दो सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ बेटी की तलाश शुरू की।
बेटी की मां ने कहा कि दोनों युवकों ने बेटी की खोजबीन शुरू की। उन्हें संदिग्ध महिला का नाम पता था। इसके बाद उन्होंने सागर में महिला के गांव के बारे में भी पता किया। हम लोग धुवारा पहुंचे। कुछ स्थानीय युवाओं को गांव में कोरोनावायरस से संबंधित एक सर्वे करने के लिए कहा और यह पता लगाने के लिए कहा कि क्या उस गांव में किसी भी घर में कोई गुप्त तरीके से लड़की आई है।
फोटो खींचकर मां से की पुष्टि
मई के पहले सप्ताह में पता चला कि गांव के हल्लू यादव के घर में एक लड़की है। लोगों ने ये भी बताया कि उसने तो उस लड़की से शादी की है। ये भी पता चला कि लड़की को घर से कहीं बाहर नहीं जाने दिया जाता है। सर्वे के नाम पर हमने लड़की की एक फोटो खिंचवा ली और पहचान पुख्ता कराने के लिए उसकी मां के पास भेजा। जब मां ने बेटी को पहचान लिया तो इसकी सूचना मंडला पुलिस को दी। फिर सागर पुलिस की मदद से लड़की को तलाश लिया। फिलहाल, लड़की को उसकी मां के सुपुर्द कर दिया गया है। मंडला पुलिस का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है। एक महिला को आरोपी बनाया जा चुका है। उसके साथ कौन-कौन लोग और शामिल हैं, इसका पता लगाया जा रहा है।