मध्य प्रदेश में मंत्रियों का टैक्स सरकारी खजाने से भरेगी सरकार, 41.79 करोड़ रुपए खर्च होंगे
भोपाल। कोरोना महामारी के चलते मध्य प्रदेश आर्थिक संकट से गुजर रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मान चुके हैं कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। इसके बावजूद शिवराज सरकार अपने मंत्रियों पर मेहरबान है। सरकार ने निर्णय लिया है कि मंत्रियों का आयकर अपने खजाने से भरेगी। कटौती के दौर में सरकार ने मंत्रियों का आयकर भरने के लिए 2 करोड़ रुपए जारी भी कर दिए हैं। यही नहीं, मंत्रियों की सुख-सुविधा के लिए शिवराज सरकार ने 41.79 करोड़ का बजट जारी किया है। इसमें दौरे, अतिथि सत्कार, यात्रा खर्च आदि शामिल हैं।
कोरोना महामारी का हवाला देकर, जहां एक ओर सरकार ने कर्मचारियों का महंगाई भत्ता, वेतन में बढ़ोत्तरी, एरियर तक रोक दिया है। वहीं, हर महीने 1 लाख 70 हजार से ज्यादा हर महीने सैलरी पाने वाले मंत्रीजी का टैक्स सरकार खुद भर रही है। वहीं, आईएएस-आईपीएस को भी सरकार नाराज नहीं करना चाहती है तभी तो उनका भी सीपीएफ 4 फीसदी बढ़ा दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री भी खुश रहें, इसलिए उनके वेतन भत्तों और दूसरे खर्चों पर 94.85 लाख का प्रावधान रखा गया है।
वेतन-भत्तों पर 10.53 करोड़ का बजट
सामान्य प्रशासन विभाग ने मंत्रियों के लिए 10.53 करोड़ रुपए का बजट रखा है। इसमें यात्रा भत्ता के लिए 31 लाख 15 हजार बजट और दौरे पर ईंधन खर्च के लिए 47 लाख का प्रावधान है।
योगी सरकार की तरह आयकर भरने का फैसला वापस ले लेना चाहिए
कोरोना संकट में मंत्रियों की सुख-सुविधा के लिए बजट का प्रावधान करने पर कांग्रेस बौखला गई है। कांग्रेस के प्रदेश मीडिया को-ऑर्डिनेटर और पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने कहा कि कर्मचारियों की सुविधाओं में कटौती कर मंत्रियों पर मेहरबानी शर्मनाक है। सरकार को यूपी की योगी सरकार की तरह आयकर भरने का फैसला वापस ले लेना चाहिए। अब भाजपा का असली चेहरा सामने आ गया है, ये कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं।
कोरोना को लेकर 30 फीसदी वेतन कटौती की और खूब प्रचार किया
अभी इसी सरकार ने कोरोनाकाल में जब मंत्रियों की 30 फीसदी तनख्वाह में कटौती का ऐलान किया तो उसका खूब ढोल पीटा, लेकिन टैक्स भरने का मामला आया तो उसे गुपचुप किया जा रहा है।
8 हजार करोड़ का कर्ज ले चुकी है सरकार
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 8000 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुके हैं। प्रदेश सरकार ने इस बार बजट का आकार लगभग 28 हजार करोड़ रुपए घटाकर 2 लाख 5 हजार करोड़ रुपए के करीब रखा है। कई विभागों को रकम खर्च करने से पहले वित्त विभाग की अनुमति लेने का प्रावधान कर दिया गया है, लेकिन बात जब मंत्रियों-नेताओं की हो तो सब माफ है।
योगी सरकार ने सरकारी खजाने से आयकर देना बंद किया
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने 2019 मुख्यमंत्री समेत मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों को को मंत्री के तौर पर दिए जाने वाले वेतन-भत्ते पर आयकर की अदायगी करने पर रोक लगा दी है। उत्तर प्रदेश में पिछले 38 सालों से जारी इस व्यवस्था को योगी सरकार ने खत्म कर दिया है। उत्तर प्रदेश में मंत्री (वेतन, भत्ता और प्रकीर्ण उपबंध) अधिनियम, 1981 की धारा-3(3) को खत्म करने का निर्णय लेने के साथ अधिनियम में संशोधन के लिए अध्यादेश के प्रारूप को मंजूरी दी गई थी। मुख्यमंत्री और मंत्रियों को वेतन-भत्ते पर आयकर अब खुद जमा करना होगा।