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गणित की दी परीक्षा, मार्कशीट बायोलॉजी की मिली

ग्वालियर। जीवाजी विश्वविद्यालय की गलती को कई विद्यार्थी किस तरह सालों तक ढोते हैं, यह बानगी पेश करते हुए कई मामले आज तक सामने आ चुके हैं। इसी कड़ी में एक और विद्यार्थी का मामला सामने आया है, जो बीते चार साल से जीवाजी विश्वविद्यालय द्वारा की गई गलती की सजा भुगत रहा है।

दरअसल बानमोर निवासी अनिल कुमार धारिया पुत्र श्रीराम धारिया ने दिसंबर 2016 में गणित (गणित, फिजिक्स, केमिस्ट्री विषय) से बीएससी 5वें सेमेस्टर की परीक्षा दी थी, लेकिन विद्यार्थी का परिणाम फिजिक्स व गणित की जगह जूलॉजी, बॉटनी का आ गया। यहां तक कि विश्वविद्यालय की ओर से एटीकेटी लिखी 5वें सेमेस्टर की मार्कशीट (अंकसूची) भी गणित के बजाय दूसरे विषयों की ही बनाकर थमा दी गई। कई बार शिकायतें करने के बाद भी उसमें संशोधन नहीं हो सका है। फाइनल सेमेस्टर की मार्कशीट कई चक्कर लगाने के बाद भी नहीं बन सकी है, उसमें विथ होल्ड लिखकर आ रहा है, जिसके कारण स्नातक पूरी करने के बाद भी पीड़ित स्नातक की अर्हताएं पूरी नहीं कर सकता है। 5वें व अंतिम सेमेस्टर की मार्कशीट न होने के कारण विद्यार्थी को नौकरी मिलना दूर वह नौकरी के लिए आवेदन तक नहीं कर पा रहा है। पीड़ित विद्यार्थी न शासकीय, न निजी और न ही किसी अन्य तरह के आवेदन में स्नातक होने के साक्ष्य प्रस्तुत कर पा रहा है।

-4 सेमेस्टर की मार्कशीट बीएससी गणित की है, जबकि 5वें सेमेस्टर की मार्कशीट बायो की बनकर आई है। 6वें सेमेस्टर का परिणाम भी अभी तक रुका हुआ है। कई चक्कर विश्वविद्यालय के काट चुका हूं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं। स्नातक की अर्हता वाला कोई आवेदन नहीं कर पा रहा, आगे की भी पढ़ाई भी रुक गई। मेरे साथ ही पांच अन्य विद्यार्थियों के साथ भी ऐसा ही हुआ है।

अनिल कुमा, विद्यार्थी, जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर