BhopalMadhya Pradesh

1800 फीट ऊंचे गांव से बीमार प्रसूता को झोली में लाए, एंबुलेंस नहीं मिलने से प्रसूता की मौत

बैतूल। बैतूल के घोड़ाडोंगरी ब्लॉक का भंडारपानी गांव 1800 फीट ऊपर पहाड़ी पर बसा है। यहां जाने के लिए रास्ता नहीं है। भंडारपानी की जग्गोबाई पति इंदर (28) की डिलीवरी तीन दिन पहले गांव में हुई थी। जहां उसने बेटी को जन्म दिया। गांव में कोई सुविधा नहीं है।


यहां के अधिकांश बच्चों की डिलीवरी गांव में ही होती है क्योंकि गर्भवती ऐसी हालत में नीचे नहीं आ पाती। जग्गो बाई की डिलीवरी होने के बाद 9 सितंबर को दर्द हो रहा था। इस पर गांव के लोगों ने लकड़ी पर कपड़े की झोली बनाकर उसे कंधों पर 1800 फीट नीचे इमलीखेड़ा (सड़क तक) ले आए। दावा किया गया है बुधवार दोपहर 12.46 बजे 108 पर एंबुलेंस के लिए फोन किया, भोपाल से सूचना मिली कि घोड़ाडोंगरी की एंबुलेंस ढाई घंटे बाद मिल पाएगी।

इसके बाद गांव के सरपंच साबू लाल, सचिव मालेकार सरकार ने प्राइवेट वाहन की व्यवस्था की और घोड़ाडोंगरी अस्पताल के लिए महिला व परिजनों को रवाना किया, लेकिन 10 किमी दूर रास्ते में प्रसूता महिला की मौत हो गई। इस परिजन महिला को लेकर वापस आ गए और कपड़े की झोली बनाकर महिला के शव को गांव ले गए जहां गुरुवार सुबह अंतिम संस्कार किया।


मौत का जिम्मेदार कौन, तीन दिन की बच्ची को कौन संभालेगा
श्रमिक आदिवासी संगठन के राजेंद्र गढ़वाल ने कहा उन्होंने 108 पर एंबुलेंस के लिए फोन किया था, लेकिन एंबुलेंस नहीं आई। पीड़िता एंबुलेंस का इंतजार करती रही। अगर एंबुलेंस समय पर आ जाती तो शायद महिला की मौत नहीं हो सकती थीं। इस मौत का कौन जिम्मेदार है। अब तीन दिन की बच्ची को कौन संभालेगा। सरकार को पीड़ित परिवार को राहत राशि देना चाहिए। ताकि परिवार चल सकें।


भंडारपानी से उतरकर नीचे इमलीखेड़ा आता है, वहां नहीं मिल सकी मदद
घोड़ाडोंगरी ब्लॉक की नूतनडंगा पंचायत के भंडारपानी गांव की हजारों फीट ऊंची पहाड़ी से उतरने पर इमलीखेड़ा आता है। यहां से घोड़ाडोंगरी सामुदायिक अस्पताल की दूरी महज 25 किलोमीटर और शाहपुर 30 किमी और बैतूल की 50 किलोमीटर है। अगर प्रयास किए जाते तो 20 से 25 मिनट में ही एंबुलेंस मौके पर पहुंचकर महिला को घोड़ाडोंगरी या शाहपुर अस्पताल पहुंचा सकती थी, इससे महिला की जान बच जाती।

क्या कहते हैं जिम्मेदार

भंडारपानी मे महिला के माैत की जानकारी मेरी जानकारी में नहीं है। जानकारी लेता हूं। 108 कोविड में लगी होगी इसीलिए नहीं पहुंची होगी।

  • डॉ. प्रदीप धाकड़, सीएचएमओ

जिस नंबर से कॉलिंग हुई होगी, उसे ट्रेस कराया जाएगा। एंबुलेंस नहीं मिल पाने के क्या कारण रहे हैं। इसे चेक कराता हूं। कोई कारण जरूर होगा। लापरवाही नहीं की जा सकती।

  • एके राजपूत, मैनेजर, 108 एंबुलेंस