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ऊर्जा मंदिर से लगायी कई बार मदद की गुहार, बार-बार गार्ड ने भगाया तब की आत्महत्या

ग्वालियर: ग्वालियर शहर के रमटा पुरा के पास रहने वाले एक मजदूर ने कैंसर की बीमारी का इलाज ना करा पाने के कारण आत्महत्या कर ली. मजदूर की आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा खराब थी। जिसको लेकर वह कई बार प्रदेश के ऊर्जा मंत्री व क्षेत्रीय विधायक प्रद्युमन सिंह तोमर के बंगले पर मदद मांगने पहुंचा था. लेकिन हर बार मंत्री जी के गार्ड मना कर उसे लौटा देते थे. जिससे मायूस होकर आखिरकार उसने यह घातक कदम उठा लिया. पिता के मौत से बेहाल बेटे ने ऊर्जा मंत्री पर लोगों की मदद करने का दिखावा करने का आरोप लगाया है.

पूरा मामला

ग्वालियर थाना क्षेत्र के रमटा पुरा लव कुश कॉलोनी के पास रहने वाला मजदूर बलराम शाक्य पिछले 6 सालों से कैंसर की बीमारी से पीड़ित था और काफी कमजोर आर्थिक तंगी के चलते वह अपना इलाज नहीं करवा पा रहा था. गंभीर आर्थिक तंगी के कारण वह मदद मांगने कई बार अपनी विधानसभा के ही नेता और प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर के घर पर व सरकारी बंगले पर कई बार मदद मांगने पहुंचा था. लेकिन वहां मौजूद गार्ड उसे हर बार मंत्री के ना होने का हवाला देकर वापस लौटा देते थे. जिससे वह और उसका परिवार मायूस हो गया था। कहीं से भी मदद ना मिलने से परेशान मायूस होकर उसने फांसी के फंदे पर झूल कर मौत को गले लगा लिया. अपने पिता को फांसी के फंदे पर झूलता देख एक मृतक के बेटे ने ऊर्जा मंत्री पर आरोप लगाते हुए कहा है कि वे बेहद गरीब है अगर ऊर्जा मंत्री उनकी मदद कर देते तो शायद उसके पिता का इलाज हो जाता और वह बच जाते लेकिन ऐसा नहीं हुआ और उन्होंने आत्महत्या कर ली. वह तो बार-बार ऊर्जा मंत्री के बंगले पर इस उम्मीद से जाते थे कि वह सबकी मदद करते हैं लेकिन इससे साफ हो गया है,कि ऊर्जा मंत्री सिर्फ लोगों की मदद करने का दिखावा करते हैं. मृतक के परिवार में प्रशासन से आर्थिक मदद की गुहार लगाई है. मजदूर बलराम शाक्य की आत्महत्या की सूचना मिलते ही ग्वालियर थाना पुलिस भी मौके पर पहुंच गई और शव को कब्जे में लेकर मर्ग कायम कर लिया गया है और पूरे मामले की विवेचना की जा रही है. लेकिन इन सबके बीच मृतक मजदूर कई सवाल पीछे छोड़ गया है कि आखिरकार सरकार की तरफ से गंभीर बीमारियों को लेकर भी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं ऐसे में मृतक मजदूर बलराम शाक्य का मुफ्त इलाज क्यों नहीं किया गया और बार-बार ऊर्जा मंत्री से गुहार लगाने के बाद भी मंत्री के बंगले पर तैनात स्टाफ ने मंत्री जी को क्यों नहीं सूचित किया यह अपने आप में सवाल खड़े करता है कि आखिरकार गरीब मजदूर कि कौन सुध लेगा.