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मामागिरी से सत्ता नहीं चलती है,मामा जी काम करना पड़ता है

मध्यप्रदेश में ‘मामा’ से शिवराज सिंह चौहान को कौन नहीं जनता. शिवराज सिंह चौहान ने मामा, भांजे, भांजी, न जाने कितने झूठे वादे इन रिश्तों के पीछे कर रखे है. शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश की जनता को पिछले कई सालों से बेवकूफ बना रखा. मध्य प्रदेश के किसान आत्महत्या कर रहें हैं, बच्चे भूख और कुपोषणता से दम तोड़ रहे लेकिन इन सभी मुद्दों को अनदेखा कर, ये सरकार क्या सिद्ध करना चाहती है कहना मुश्किल है.

आइये देखते हैं मामा जी के झूठे कसमे वायदे-

कुपोषण से दम तोड़ रहे बच्चे

राज्य में कुपोषण,गरीबी,भुखमरी बढ़ती रही है लेकिन सरकार आँख पर काली पट्टी बांध के बैठी हुई है. मामा जी राज्य के इन आंकड़ों पर भी ध्यान दे दीजिये. मध्यप्रदेश में पिछले 5 सालों में लगभग 95 हजार (94,699) सिर्फ नवजात बच्चों ने गरीबी और कुपोषण के चलते दम तोड़ दिया है.यह उन बच्चों की संख्या है जिन्होंने बोलना तक नहीं सीखा था जिनके अभी दाँत तक नहीं निकले थे.
इन बच्चों के लिये आपका प्यार कहाँ है?

दम तोड़ते किसान

जिस किसान की बदौलत हमें अन्न नसीब होता है, हमें उसका सम्मान करना चाहिए लेकिन यहां तो उल्टा हो रहा है सरकार मजबूर कर रही है उन्हें आत्महत्या करने के लिये.


आंकडों के अनुसार, वर्ष 2004 में 1638 किसानों और खेतिहर मज़दूरों ने ख़ुदकुशी की, जबकि वर्ष 2005 में 1248, वर्ष 2006 में 1375, वर्ष 2007 में 1263, वर्ष 2008 में 1379, वर्ष 2009 में 1395 और वर्ष 2010 में 1237 किसानों और खेतिहर मजदूरों ने आत्महत्या की.


इसी तरह वर्ष 2011 में 1326 किसानों और खेतिहर मजदूरों ने ख़ुदकुशी की, जबकि वर्ष 2012 में 1172, वर्ष 2013 में 1090, वर्ष 2014 में 826, वर्ष 2015 में 581 और वर्ष 2016 में 599 किसानों और खेतिहर मज़दूरों ने आत्महत्या की.


बता दें कि बीते जून 2018 में मध्य प्रदेश किसान आंदोलन का गढ़ बना हुआ था. किसान क़र्ज़माफी और न्यूनतम समर्थन मूल्य जैसे तमाम मुद्दों को लेकर आंदोलन कर रहे थे.


इस आंदोलन का केंद्र राज्य का मंदसौर ज़िला बना हुआ था. छह जून 2018 को आंदोलन के दौरान ज़िले में पुलिस फायरिंग हुई जिसमें छह किसानों की जान चली गई थी.


इस घटना के बाद किसानों का आंदोलन हिंसक हो उठा था. इस आंदोलन के दौरान किसानों की आत्महत्या लगातार जारी रही. आत्महत्या के पीछे प्रमुख कारण क़र्ज़, फसल खराब होना और खेती में नुकसान उठाना आदि रहे हैं. इस आंदोलन को रोका जा सकता था किसानों की मदद की जा सकती थी लेकिन शिवराज सिंह चौहान ने कोई कदम नहीं उठाया.

सरकार पी रही मिनरल वाटर और जनता पानी की किल्लत से परेशान

बुंदेलखंड की हर बस्ती का हाल पानी को लेकर बहुत बुरा है. मध्य प्रदेश सरकार जहां इस इलाके के 54,780 हैंडपंपों में से 49,792 हैंडपंपों में पानी देने का दावा कर रही है वहीं यह तस्वीर सरकार की सच पर पर्दा डालने की कोशिश दिखाई दे रही है.


ग्रामीण इलाके के लोगों में अपने-अपने जनप्रतिनिधि को लेकर खासी नाराजगी है. घुवारा के एक किसान ने कहा कि आज हाल यह है कि भैंस को खिलाने के लिए चारा और पिलाने के लिए पानी तक नहीं है. जहां तक बात नेता और विधायक की है तो सिर्फ चुनाव के समय ही उनके दर्शन होते हैं.

वाह री शिवराज सिंह चौहान सरकार तेरे इतने रंग की अब पहचान में ही नहीं आ रही की सच क्या है?
सत्ता रिश्तेदारी बनाने से नहीं, काम करने से चलती है. ये बात जितनी जल्दी आप समझ जायें उतना ही बेहतर होगा