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मध्य प्रदेश बनेगा कैपिटल ऑफ माइंस, 17 व 18 अक्टूबर को भोपाल में होगी खनन कॉन्क्लेव…

भोपाल : देश का हृदय प्रदेश मध्य प्रदेश खनिज संपदा से समृद्ध है,  पन्ना की हीरा खदानों से देश-दुनिया में विशेष पहचान के साथ प्रदेश में तांबा, मैंगनीज, रॉक-फॉस्फेट और कोयले के भंडार भी प्रचुर मात्रा में है जिसके कारण दूसरे राज्यों सहित दुनिया के की देशों की नजर मध्य प्रदेश पर रहती है, इस व्यवसाय और व्यापार से जुड़े लोगों को बड़ा मार्केट उपलब्ध कराने के उद्देश्य से अब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव नई पहल करने जा रहा हैं, प्रदेश में जारी रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव के बीच अब भोपाल में 17-18 अक्टूबर को दो दिवसीय खनन कॉन्क्लेव होने जा रही है।

मध्य प्रदेश में प्रचुर संसाधन, अनुकूल नीतियों और मजबूत बुनियादी ढाँचे के साथ खनन उद्योग में निवेश और विकास की असीमित संभावनाएँ हैं, जो देश की खनिज संपदा में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। मध्य प्रदेश भारत का एकमात्र हीरा उत्पादक राज्य है और कई अन्य खनिजों के उत्पादन में भी अग्रणी है। प्रदेश मैगनीज, कॉपर एवं अयस्क उत्पादन में देश में पहले स्थान पर, जबकि रॉक फॉस्फेट में दूसरे, चूना पत्थर में तीसरे और कोयला उत्पादन में चौथे स्थान पर है। ये खनिज उद्योग और ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्र में इसकी महत्ता को रेखांकित करते हैं।

17-18 अक्टूबर को भोपाल में दो दिवसीय खनन कॉन्क्लेव

भोपाल में इंटरनेशनल कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में 17 अक्टूबर को 2 दिवसीय कॉन्क्लेव होने जा रही है। यह कॉन्क्लेव इण्डस्ट्रियलिस्ट और शिक्षाविदों के दृष्टिकोण पर केन्द्रित होगी। इसमें तकनीकी सत्र भी होंगे, जिसमें डिजिटलाइजेशन और खनन प्रौद्योगिकी में प्रगति, विशेष रूप से ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) पर चर्चा होगी। प्रतिभागियों को खनन स्टार्ट-अप्स द्वारा आगामी तकनीकों की जानकारी प्राप्त करने का अवसर भी मिलेगा। कॉन्क्लेव के विभिन्न सत्रों में कोयला और ऊर्जा, अन्वेषण में प्रगति, चूना पत्थर और सीमेंट, महत्वपूर्ण खनिजों के अवसर, खनिज संवर्धन और ऊर्जा तथा हाइड्रो-कार्बन शामिल है, जो नई ऊर्जा संभावनाओं को उजागर करेंगे। कॉन्क्लेव के दूसरे दिन 18 अक्टूबर को खनिज आधारित उद्योगों कोयला, ऊर्जा और हाइड्रो-कॉर्बन पर केन्द्रित राउण्ड टेबल बैठक होगी, जो हितधारकों के बीच सहयोग और चर्चा के लिये एक मंच प्रदान करेगी।

पन्ना में है हीरे का भण्डार

मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में देश का एकमात्र हीरे का भण्डार है। यहाँ की मझगाँन हीरा खदान का संचालन भी शुरू हो गया है। हीरा खदान से प्रतिवर्ष एक लाख कैरेट हीरे का उत्पादन होता है। साथ ही बुंदर हीरा ब्लॉक में 32.2 मिलियन कैरेट हीरे का भण्डार है। प्रदेश में मलाज़खण्ड कॉपर खदान भारत की सबसे बड़ी तांबा खदान है। यहाँ से प्रतिदिन 5 से 10 हजार टन तांबा निकाला जाता है। भारत के कुल तांबा भण्डार का 70 प्रतिशत तांबा मध्यप्रदेश में है। इसी प्रकार राज्य में स्थित सासन कोयला खदान भी अपने विशाल खनन उपकरणों के लिये प्रसिद्ध है। यहाँ पर चलने वाली ड्रेग लाइन का उपयोग होता है, जिसकी बाल्टी 61 घन मीटर की है, जो भारत में अब तक सबसे बड़ी है। यह देश का सबसे बड़ा निजी कोयला उत्पादक ब्लॉक है, जो मध्यप्रदेश को खनन क्षेत्र में एक मजबूत पहचान दिलाता है।

चूना पत्थर उत्पादन में देश में MP का 15 प्रतिशत का योगदान

मध्य प्रदेश में चूना पत्थर का 9 प्रतिशत भण्डार होने के बावजूद चूना पत्थर उत्पादन में देश में 15 प्रतिशत का योगदान देता है। यहाँ के प्रचुर मात्रा में कोयले एवं आवश्यक संसाधनों के कारण राज्य भारत की सीमेंट उत्पादन क्षमता का 7 प्रतिशत हिस्सा रखता है, जिसमें हर साल बढ़ोत्तरी हो रही है।

प्रदेश में कोलबेड मिथेन (सीबीएम) के बड़े भण्डार हैं। देश में यह संसाधन में छठवें स्थान पर है, लेकिन उत्पादन में यह दूसरे स्थान पर है। यह दर्शाता है कि राज्य अपनी ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने के लिये न केवल खनिज सम्पदा, बल्कि वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों का भी काफी बेहतर उपयोग कर रहा है, जिससे यह नेट जीरो मिशन में भी योगदान दे रहा है।

मध्यप्रदेश के सोहागपुर ईस्ट और वेस्ट सीवीएम ब्लॉक रिलायंस इण्डस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा संचालित है। इससे निकाली गई गैस को बाजार तक पहुँचाने के लिये शहडोल से फूलपुर तक एक गैस पाइप-लाइन निर्माण की योजना बनाई गई है, जो हजीरा-विजयपुर-जगदीशपुर पाइप-लाइन नेटवर्क से जुड़ेगी। यह परियोजना राज्य को राष्ट्रीय गैस प्रणाली से जोड़कर ऊर्जा के क्षेत्र में उसकी भूमिका को और सशक्त बनायेगी। लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में प्रदेश बेहतरीन स्थिति में है। यहाँ 5.1 लाख किलोमीटर लम्बी सड़कें, 6 इनलेण्ड कंटेनर डिपो (आईसीडी) और 7 हवाई अड्डे हैं, जो राज्य को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से जोड़ते हैं और व्यवसाय की सुगमता को बढ़ाते हैं।

मध्य प्रदेश खनिज सम्पदा के साथ अन्य औद्योगिक आवश्यकताओं को भी पूरा करता है। बिजली की पर्याप्त व्यवस्था, जल-संसाधन और कुशल श्रमिक उपलब्ध हैं, जो औद्योगिक संचालन के लिये एक अनुकूल वातावरण तैयार करते हैं। राज्य निवेशकों और खनन ऑपरेटर्स को व्यापक सहायता प्रदान करेगा। प्रशासनिक प्रक्रिया को सरल बनाने के लिये बीडर के साथ को-ऑर्डिनेशन किया जाता है, जिससे आवश्यक क्लियरेंस और अनुमोदन प्राप्त करने में आसानी होती है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोच को साकार करने के लिये वर्ष 2015 में खनिज कानून संशोधन के साथ जिला खनिज निधि (डीएमएफ) की स्थापना की गई है, जिसमें अब तक 7 हजार 531 से अधिक परियोजनाएँ पूरी हो चुकी हैं, जो राज्य के खनन प्रभावित क्षेत्रों में लोगों के जीवन को बेहतर बना रही हैं।

मध्य प्रदेश का खनिज संसाधन विभाग (एमआरडी) खनिज ब्लॉक नीलामी में देश में अग्रणी रहा है। मध्य प्रदेश द्वारा 78 खनिज ब्लॉक सफलतापूर्वक नीलाम किये गये। प्रदेश को फरवरी 2022-23 में खनिज ब्लॉक नीलामी में देश में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। प्रदेश को जुलाई-2022 में भारत सरकार द्वारा मुख्य और गौण खनिज नीलामी के लिये भी प्रथम पुरस्कार मिला है, जो राज्य के खनिज संसाधन एवं प्रबंधन में उत्कृष्टता का प्रमाण है।