अपनी पिछली सरकार की तरह इस बार भी फेल हो गये हैं शिवराज सिंह
2018 से पहले मध्य प्रदेश में 15 साल तक बीजेपी की सरकार थी. जिसमें 13 सालों तक शिवराज सिंह मुख्यमंत्री रहे थे. 2018 के चुनावों में कांग्रेस की सरकार बनी और मुख्यमंत्री बने कमलनाथ. कमलनाथ की सरकार केवल 15 महीने ही चली थी कि बीजेपी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपने साथ में लेकर कांग्रेस की सरकार गिरा दी. अक बार फिर से शिवराज सिंह मुख्यमंत्री बन बैठे. राजनैतिक पंडितों की नजर में शिवराज सिंह की पिछली तीन सरकारें भी फेल रही थीं और उनकी नजरों में यह सरकार भी फेल ही है. इसके पीछे वो कई कारण बताते हैं, जैसे –
• कोरोना महामारी के बीच सरकार बनाना
शिवराज सिंह ने जब चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री का पद 23 मार्च को संभाला, उसके अगले दिन ही देशभर में कोरोना की वजह से लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई. ऐसा माना जाता है कि जब किसी राज्य में सत्ता परिवर्तन होता है तो मंत्रालयों और विभागों के अधिकारी बदले जाते हैं. सरकार बदलते ही अधिकारियों ने पद बचाने की जुगत शुरू कर दी. अधिकारी काम करने से ज्यादा अपने पद को बचाने की जुगत में लग गये. अक तरफ जनता कोरोना की वजह से परेशान थी तो वहीँ सरकार और प्रशासन की तरफ से उसे कोई मदद नहीं मिल पा रही थी. जिससे मध्य प्रदेश में कोरोना मरीजों का ग्राफ बढ़ता ही चला गया. कुछ लोगों ने शिवराज सिंह पर यहाँ तक आरोप लगाये कि खुद मुख्यमंत्री बनने के लिए इन्होने केंद्र सरकार पर लॉकडाउन लगाने में देरी करने का दवाब तक बनाया. लोगों में इस बात की भारी नाराजगी है कि जब जनता कोरोना की वजह से परेशान थी, तब शिवराज सिंह अक चुनी हुई सरकार को गिराने और खुद की सरकार बनाने में लगे थे.
• लॉकडाउन में बिगडती कानून व्यवस्था
कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन के कई नुकसान रहे हों, लेकिन कुछ फायदे भी हुए थे. जैसे – प्रदूषण के स्तर का सुधरना और घटते अपराध इनमें मुख्य हैं. लेकिन लॉकडाउन के दौरान राज्य में कानून व्यवस्था और भी बिगड़ गयी. कमलनाथ सरकार की सख्ती के बाद अपराधी अंडरग्राउंड हो गये थे लेकिन सरकार बदलते ही वो फिर बाहर निकलकर अपराध की दुनिया में वापस आ गये. लॉकडाउन के दौरान राज्य में ऐसी कई घटनाएं घटित हुईं, जो सरकार और प्रशासन की पोल खोलता है. एक रिपोर्ट के अनुसार देशभर में लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा अपराध मध्य प्रदेश में ही हुए हैं.
• पहले मंदसौर और अबकी गुना
शिवराज सिंह की पिछली सरकार में एक ऐसी घटना हु थी, जिसने सत्ता विरोधी लहर को और हवा दे दी थी. मंदसौर में हुए किसानों पर गोलीबारी में किसानों में सरकार के खिलाफ गुस्सा बढ़ा दिया था. उसी तरह की ही घटना इस बार गुना में भी हुई है. जी हाँ, वाही गुना जो बीजेपी में नए नवेले आए ज्योतिरादित्य सिंधिया का क्षेत्र. गुना में प्रशासन जमीन से कब्ज़ा छुडवाने गया था, जिस दौरान किसान परिवार ने प्रशासन से फसल की कटाई हो जाने तक की मोहलत मनागी थी. लेकिन प्रशासन नहीं माना था. जिसके बाद किसान दंपत्ति ने कीटनाशक पीकर आत्महत्या करने की कोशिश की थी. कुछ लोग इसे छोटा मंदसौर कांड भी कह रहे हैं. किसानों के नेता के अनुसार यह घटना शिवराज सरकार के नाकाम औए फेल होने का जीता जागता सबूत है. किसान और मजदूर वर्ग पहले से ही परेशान था. वो शिवराज सिंह से पहले ही नाराज है और इस घटना ने उनका गुस्सा उअर भी बढ़ा दिया.
• कोरोना में मदद के नाम पर घोटाला
कोरोना काल में लोगों ने जरुरतमंदों की खूब मदद की. मध्य प्रदेश की सरकार ने भी मदद करने की कोशिश की. मदद के नाम पर बीजेपी कार्यकर्ताओं और प्रशासन के द्वारा किट पहुंचाई गयीं. सरकार के अनुसार इसमें 5 किलो आटा होना चाहिए थे. लेकिन जांच में पता चला कि इस किट में सिर्फ 3 से 4 किलो आटा ही निकल रहा था. लेकिन सरकारी कागजों में यह 5 किलोलिखा जा रहा था. जब यह खबर सामने आई तो जांच की बात की जाने लगी. अब यह जांच कहाँ तक पहुंची, किसी को क्कुह नही मालूम. इस विषय पर अधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री बात तक करना नहीं चाहते हैं.
इसी तरह कई और भी कारण हैं, जिनसे लगता है कि शिवराज सिंह यह सरकार भी पानी पिछली सरकारों की तरह फेल होती जा रही है. सरकार का ध्यान सिर्फ उपचुनावों पर लगा हुआ है. वो शायद भूलती जा रही है कि चुनावों में वोट जनता आपके कामों के आधार पर देती है. लेकिन जनता की नजरों में शिवराज सरकार भरोस खो चुकी है. तो उपचुनावों की तैयारियों की क्या ही जरुरत?