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जाने क्यों टेक्नॉलजी के बढ़ने से खेल क्षेत्र में नुक़सान हो रहा है.

पूरे दुनियाँ में भूमंडलीकरण के कारन लोगों को अपने जीवन यापन के काम करने में आसानी हो रही है। जैसे तेज इंटरनेट का इस्तेमाल, कोई भी सामान की होम डिलीवरी, फ़ोन के एक क्लिक पर कुछ भी सामान घंटो में आपके सामने आ जाता है। ये सभी चीजे एक इंसान के जीवन को आसान बना देती है और समस्या काफ़ी काम हो जाती है लेकिन नुक़सान इसका इतना ही अधिक भी है ख़ास कर हमारे युवा पर इसका खासा असर देखने को मिला है-

टेक्नॉलजी के बढ़ने से खेल क्षेत्र में नुक़सान-

आज के समय में लोग अपने फ़ोन, कंप्यूटर, लैपटॉप पर अधिक समय बिता रहे है और हर तरह गेम भी डिवाइस में उपलब्ध होते है, बस फ़र्क़ यह होता है कि व्यक्ति एक जगह बैठ या लेट कर ये गेम्स खेलते है और इस आदत का चलन इतना बढ़ गया है कि भारत में अधिकतर लोग अपना समय मोबाइल गेम्स खेल कर बिता रहे है। इसका दीर्घावधि नुक़सान हम सभी को कही न कही हो रहा है।

घर से बहार खेलना कम और घर पर स्वास्थ्य का नुक़सान-

इस चलन के कारन कई युवा पीड़ी बीमार भी हुए है, कही बच्चे पबजी जैसे गेम कई घंटे खेल कर अपनी जान भी गवा चुके है इसके साथ ही शारीरिक गतिविधि ना के बराबर

होने से अलग रोग के शिकार भी होते है। खासकर दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु जैसे शहरों में युवा आउटडोर गेम्स में और पीछे है जिसको ठीक करने की ज़रूरत है।
दरसल सालो से ये बढ़ता ही जा रहा है पर इस चलन को संतुलित करने की आवशकता है।

अभियान चला कर किया जा सकता है कण्ट्रोल-

घर परिवार में, सरकार में, इंटरनेट पर, स्कूल मैं और अलग-अलग जगह अभियान के रूप में खेल का महत्त्व और इस से होने वाले देश को फायदे के बारे में युवा पीढ़ी को जागरूक करने की ज़रूरत है जिस से आउटडोर गेम्स पर भी युवा का उतना ही ध्यान जाये जितना कि मोबाइल गेम्स पर।