Madhya Pradesh

जनता और मध्य प्रदेश के हितों को परे रखकर केन-बेतवा लिंक परियोजना पर शिवराज सिंह ने हस्ताक्षर किये हैं – पूर्व सीएम कमलनाथ

मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश ने केन-बेतवा लिंक परियोजना को लेकर 22 मार्च को समझौते हो गया. एक वर्चुअल कार्यक्रम के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की उपस्थिति में शिवराज सिंह चौहान और योगी आदित्यनाथ ने एमओयू साइन किया.

कहा जा रहा है कि यह प्रोजेक्ट एमपी और यूपी में पड़ने वाले बुंदेलखंड क्षेत्र में पानी की कमी को दूर करेगा. वहीं कांग्रेस शिवराज सरकार पर राज्य के हितों के साथ समझौता करने का आरोप लगा रही है. उसका कहना है कि केंद्र की मोदी सरकार के दबाव में पूर्व निर्धारित शर्तों का उल्लंघन करते हुए शिवराज सरकार ने समझौते पर हस्ताक्षर किया है.

शिवराज सरकार ने राज्य के हितों से समझौता किया है

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भाजपा और शिवराज सिंह की पर निशाना साधते हुए कहा कि, ”वर्षों से लंबित केन-बेतवा लिंक परियोजना का एमओयू हस्ताक्षर होना स्वागत योग्य है. इस परियोजना से बुंदेलखंड क्षेत्र का विकास होगा लेकिन केन्द्र की मोदी सरकार के दबाव में शिवराज सरकार ने अनुबंध की शर्तों के विपरीत कई मुद्दों पर झुककर प्रदेश के हितों के साथ समझौता किया है. इस योजना की शुरुआत वर्ष 2005 से हुई थी , 2008 में इसका खाका तैयार हुआ था. वर्षों से यह परियोजना लंबित थी. साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस परियोजना के अमल को लेकर केंद्र सरकार को निर्देश दिए थे.”

परियोजना से मध्य प्रदेश का बड़ा रकबा डूबत में आएगा

कमलनाथ ने लिखा कि इस परियोजना में तय अनुबंध की शर्तों के विपरीत मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में पानी के बंटवारे लेकर मुख्य विवाद था. मध्य प्रदेश रबी सीजन के लिए 700 एमसीएम पानी उत्तर प्रदेश को देने पर सहमत था लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अधिक मात्रा में पानी देने का दबाव बनाया जा रहा था.

जबकि इस परियोजना से हमारे प्रदेश के कई गांव, जंगल डूब रहे हैं. डूबत क्षेत्र के कई गांवो का विस्थापन हमें करना पड़ेगा. पन्ना टाइगर रिजर्व क्षेत्र की 5500 हेक्टेयर जमीन सहित करीब 9 हजार हेक्टेयर जमीन डूब में आ रही है. हमारा बड़ा क्षेत्र डूब रहा है, कुछ पर्यावरण आपत्तियां भी थीं.

एमओयू को जनता के लिए सार्वजनिक करे शिवराज सरकार: कमलनाथ
कमलनाथ ने लिखा कि इस परियोजना से उत्तर प्रदेश को मध्य प्रदेश के मुकाबले अधिक लाभ होना है. इसलिए वर्षों से कई मुद्दों पर हमारी आपत्ति थी. लेकिन शिवराज सरकार ने मोदी सरकार के दबाव में कई मुद्दों पर झुककर प्रदेश के हितों के साथ समझौता किया है. प्रदेश हित के मुद्दों की अनदेखी की है.

शिवराज सरकार को इस परियोजना को लेकर प्रारंभ में तय अनुबंधों की शर्तों, विवाद के प्रमुख बिंदुओ, इस परियोजना में मध्य प्रदेश के हितों की अनदेखी, नुकसान पर ली गई आपत्तियों व वर्तमान एमओयू में तय शर्तों की जानकारी सार्वजनिक कर प्रदेश की जनता को वास्तविकता बताना चाहिए.