Madhya Pradesh

कंगना रनौत की “थलाइवी” तमिलनाडु की अम्मा जय ललिता की अनदेखी तस्वीर जो आपने कभी नहीं देखी होगी

जयललिता का जन्म वर्तमान कर्नाटक के मैसूर के मांडया जिले के पांडवपुरा तालुक के मेलुरकोट गांव में एक ‘अय्यर’ परिवार में हुआ था. उनके दादा तत्कालीन मैसूर राज्य में एक सर्जन थे. महज 2 साल की उम्र में ही जयललिता के पिता जयराम, उन्हें माँ संध्या के साथ अकेला छोड़ कर चल बसे थे. पिता की मृत्यु के पश्चात जयललिता माँ के साथ बंगलौर अपने नाना के घर चली आयीं,जंहा उनका पालन पोषण हुआ. बाद में उनकी मां ने तमिल सिनेमा में काम करना शुरू कर दिया और अपना फिल्मी नाम ‘संध्या’ रख लिया।उनकी प्रारंभिक शिक्षा पहले बंगलौर और बाद में चेन्नई में हुई.

बचपन से ही एक्टिंग का शौक रखने वाली ‘जया’ ने 1961 में 13 साल की उम्र में पहली बार अंग्रेजी फिल्म ‘एपीसल’ में एक बाल कलाकार के तौर पर सुनहरे पर्दे पर कदम रखा.

स्कूल में टॉपर थीं जयललिता, लॉयर बनना चाहती थीं.

तमिल सिनेमा में उन्होंने जाने माने निर्देशक श्रीधर की फिल्म ‘वेन्नीरादई’ से अपना सफर शुरू किया और लगभग 300 फिल्मों में काम किया. उन्होंने तमिल के अलावा तेलुगु, कन्नड़, अँग्रेजी और हिन्दी फिल्मों में भी काम किया है. उन्होंने कई अभिनेताओं के साथ फिल्मों में काम किया, किन्तु उनकी ज्यादातर फिल्में शिवाजी गणेशन और एमजी रामचंद्रन के साथ ही आईं.

जयललिता की लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें 1983 में अन्नाद्रमुक की प्रचार टीम का हिस्सा बनाया गया. उन्हें प्रचार प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई. पहली बार थिरुचेंदुर सीट पर हुए उपचुनाव में उन्होंने पार्टी के उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार भी किया.

राजनीति में एंट्री हुई, जब 9 साल बाद मिलीं पुराने दोस्त MGR से.

MGR की मौत हुई, उनका परिवार जयललिता को धक्के मार रहा था. पर वो हिली नहीं.

जयललिता ने खाई थी क़सम

वसंती विधानसभा में मार्च 1989 में हुई एक घटना के बारे में बताती हैं. तब जयललिता ने विपक्ष की नेता के तौर पर मुख्यमंत्री करुणानिधि द्वारा उनके ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाने का मुद्दा उठाया था.

यह वो वक़्त था जब करुणानिधि ने बजट पेश करना शुरू ही किया था और जयललिता ने इसका विरोध शुरू कर दिया.

इसके बाद किसी ने करुणानिधि पर फाइल फेंकी और उनका चश्मा टूट गया. इसकी प्रतिक्रिया में ट्रेजरी बेंच से किसी ने जयललिता की साड़ी खींच दी.

वसंती बताती हैं, ”जयललिता ने इसे कभी माफ़ नहीं किया जाने वाला अपमान कहा था और क़सम खाई थी कि वो विधानसभा में तभी लौटेंगी जब करुणानिधि सत्ता से बाहर होंगे.”

मुख्यमंत्री बनीं जयललिता. करुणानिधि को घसीटकर ले जाती पुलिस का ये फोटो लोगों के दिमाग में छप गया. लोग कहते हैं कि जया ने बदला लिया था.

जया मुख्यमंत्री बनीं 1991 में, फिर ये दौर भी आया जब विधायक पैर पूजते थे.

5 दिसम्बर 2016 को चेन्नई अपोलो अस्पताल ने प्रेस नोट जारी कर बताया कि रात 11:30 बजे (आईएसटी) उनका निधन हो गया. जयललिता 22 सितंबर से अपोलो अस्पताल में भर्ती थीं, उन्हें दिल का दौरा पड़ने के बाद आईसीयू में भर्ती कराया गया था. द्रविड़ आंदोलन जो हिंदू धर्म के किसी परंपरा और रस्म में यक़ीन नहीं रखता उससे जुड़े होने के कारण इन्हें दफनाया गया.