अजब जुनून है ये इंतिकाम का जज्बा, शिकस्त खाकर वो पानी में जहर डाल आया
ग्वालियर: शायर अजहर इनायती का यह शेर ग्वालियर-चंबल की राजनीति पर एकदम सटीक बैठता है. यह कहानी है कभी साथ मिलकर सत्ता पाने वाले दो बड़े नेताओं की. यह कहानी है दोस्त से अचानक दुश्मन बने 49 साल के ज्योतिरादित्य सिंधिया और 73 साल के कमल नाथ की. इसे बदला ही कहेंगे कि जहां अन्य जिलों में सिंधिया समर्थक प्रत्याशियों ने बड़ी जीत दर्ज की वहीं ग्वालियर-चंबल इलाके में ही उन्हें शिकस्त खानी पड़ी. इनमें वे प्रत्याशी भी शामिल हैं जो सिंधिया के एक इशारे पर कमल नाथ का गला काटने और जान देने की बात कह चुके हैं. जानकार बताते हैं कि कमल नाथ की अच्छी भली सरकार को जब सिंधिया ने 22 विधायकों के साथ मिलकर गिरा दिया तो कमल नाथ बदले की आग में जलने लगे.
उपचुनाव नजदीक आया तो पूरी कमान अपने हाथ में ले ली. भाजपा की तरफ से जहां बड़े-बड़े दिग्गज प्रचार मैदान में उतारे गए वहीं कमल नाथ का वन मैन शो जारी रहा खासकर सिंधिया की रणभूमि ग्वालियर-चंबल इलाके में. कहा भी जाता है कि किसी वटवृक्ष को यदि कमजोर करना है तो उसकी जड़ों पर वार करो. ग्वालियर सिंधिया परिवार की जड़ है, इसलिए कमल नाथ ने भी एक के बाद एक लगातार यहीं पर वार किया. यदि कमल नाथ के चुनावी दौरों का विश्लेषण करें तो पाएंगे कि शायद उन्होंने पहले से तय कर रखा था कि जिस ग्वालियर महल से अंचल में राजनीति की फिजा बदल जाती है वहां सिंधिया के प्रत्याशियों को हराएंगे. तभी तो बतौर मुख्यमंत्री एक बार भी ग्वालियर अंचल में नहीं आने वाले कमल नाथ ने प्रचार के लिए इस क्षेत्र में ताबड़तोड़ दर्जनों सभाएं और रोड शो किए.