कमलनाथ ने कहा- सौदेबाजी के चलते मंत्रालय के बंटवारे में देरी
भोपाल। शिवराज मंत्रिमंडल में विभागों के बंटवारे में एक-दो दिन का समय और लग सकता है। मंगलवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह दो दिन के दिल्ली दौरे के बाद राजधानी वापस आ गए। वहीं, विभागों के बंटवारे में देरी पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि ये सौदे की सरकार है, सौदे से मंत्रिमंडल बना है और विभागों के बंटवारे पर भी सौदा हो रहा है।
मध्य प्रदेश में करीब 100 दिन बाद शिवराज सरकार के पहले मंत्रिमंडल का विस्तार 2 जुलाई को हुआ था। मंत्रिमंडल में 20 कैबिनेट और 8 राज्यमंत्रियों को शपथ दिलाई गई थी। इसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि इसी दिन देर रात तक मंत्रियों में विभागों का बंटवारा हो जाएगा। मुख्यमंत्री और ज्योतिरादित्य सिंधिया में अपने खेमे के मंत्रियों में विभागों के बंटवारे में सहमति नहीं बन पाई। इसके बाद 5 जुलाई को मुख्यमंत्री मंत्रिमंडल में विभागों में बंटवारे पर केंद्रीय नेताओं से चर्चा करने दिल्ली गए।
मुख्यमंत्री के वापस आने के बाद भी मंत्रालय के बंटवारे पर मंथन जारी है। बताया जा रहा है कि सिंधिया अपने खेमे के मंत्रियों के लिए वजनदार विभाग चाहते हैं। दिल्ली में दो दिन की मशक्कत के बाद भी यह तय नहीं हो सका कि भाजपा के पास कौन से विभाग रहेंगे और सांसद सिंधिया खेमे में क्या जाएगा?
सूत्रों का कहना है कि सिंधिया ने 7 कैबिनेट मंत्रियों के लिए बड़े विभाग तो मांगे, साथ ही स्पष्ट किया है कि 4 राज्यमंत्रियों के पास कुछ विभागों का स्वतंत्र प्रभार रहे। कांग्रेस से भाजपा में आए हरदीप सिंह डंग, बिसाहूलाल सिंह और एंदल सिंह कंसाना को भी विभाग दिया जाना है। मुख्यमंत्री चाहते हैं कि बिसाहूलाल और एंदल को भी कुछ विभाग मिले। इस मामले में भी केंद्रीय नेतृत्व को निर्णय लेना है।
सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री भी वाणिज्यिक कर, आबकारी, महिला बाल विकास, परिवहन, ऊर्जा, उद्योग, जल संसाधन, नर्मदा घाटी विकास समेत कुछ विभाग अपने करीबी मंत्रियों के पास रखना चाहते हैं। केंद्रीय नेतृत्व इस पर तैयार नहीं हो रहा। हालांकि, प्रदेश संगठन ने कुछ नए नाम सुझाए हैं, लेकिन इस पर अंतिम निर्णय नड्डा और संतोष को लेना है।