मुख्यमंत्री पद के लिये कमलनाथ की जगह ज्योतिरादित्य सिंधिया नहीं बने कांग्रेस की पसंद, तभी से बनाया मन गद्दारी का ?
मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश में सीएम के नाम को लेकर उन दिनों काफी गहमागहमी थी. दिन में कई बार ऐसे हालात बने थे कि सिंधिया और कमलनाथ के समर्थक आपस में भिड़ते नजर आए. सिंधिया के समर्थक पहले से ही दबाव बना रहे थे लेकिन गनीमत रही कि कोई अप्रिय घटना नहीं हुई थी. पहले राजधानी भोपाल में विधायक दल की बैठक का वक्त बार-बार टला और उसके बाद कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया दोनों कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलने के लिए दिल्ली पहुंच गए थे. यहां उनके आवास पर घंटों विचार-विमर्श हुआ और ज्योतिरादित्य सिंधिया की जगह राहुल गांधी ने कमलनाथ को मध्य प्रदेश का कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जाने की घोषणा की.
कमलनाथ से थी नाराज़गी सिंधिया की इसलिये नहीं चलने दी सरकार
दिग्विजय सिंह और कमलनाथ से ज्योतिरादित्य सिंधिया का छत्तीस का आंकड़ा था इसलिये शायद ज्योतिरादित्य सिंधिया कमलनाथ की सरकार नहीं चलने देना चाहते थे और 11 महीने में गद्दारी करके कमलनाथ सरकार को गिरा दिया. एमपी में सीएम बनने के लिए कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया दोनों ने जोर लगाया था. राहुल गांधी सिंधिया को ही सीएम बनाना चाहते थे लेकिन सोनिया गांधी एक अनुभवी नेता को मुख्यमंत्री के पद पर देखना चाहती थी इसलिये कमलनाथ को मध्य प्रदेश का कांग्रेस का अध्यक्ष घोषित किया. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने डेप्युटी सीएम बनने से भी बाद में इनकार कर दिया था.