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ज्योतिरादित्य सिंधिया – राजा,मंत्री,गद्दार या सिपाही

2020 की उपलब्धि की बात की जाये तो मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय गद्दार का नकाब उतरा. जी हाँ सबके सामने मुखौटे में छुपे कई लोगों के चेहरे सामने आए और उसमें से सबसे बड़ा चेहरा था ग्वालियर के महाराज और कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का जिन्होंने पलटी मार के मंत्री पद के ख़ातिर खुद का ईमान बेच भाजपा में शामिल हो गये.

मौजूदा समय में ज्योतिरादित्य कांग्रेस के उन चुनिंदा नेताओं में से थे जो भीड़ जमा करना जानते हैं, तीखा भाषण दे सकते हैं और बड़े मंचों पर प्रधानमंत्री मोदी के मुखर आलोचक रहे हैं.

अब जब ज्योतिरादित्य ने अपनी पार्टी बदल ली है, तो आपको जानना चाहिए कि भाजपा और पीएम मोदी के बारे में वे अब तक क्या-क्या कहते रहे हैं.

मोदी के थे कड़े आलोचक और अब हैं भक्ति में लीन

अगर हम 18 मार्च 2018 के भाषण की बात करें तो ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा था कि ये है मोदी जी का न्यू इंडिया. जिस संसद को लोकतंत्र का मंदिर बताया जाता है, उसमें हिटलरशाही लागू करके लोगों की आवाज़ दबाने की कोशिश की जा रही है. मैं मोदी जी और उनकी सरकार को कहना चाहता हूँ कि कांग्रेस पार्टी का एक-एक सांसद और कार्यकर्ता, ना कभी झुका है और ना कभी झुकेगा. चाहे गर्दन कट जाए, पर हम झुकेंगे नहीं, ये एक संदेश हम इस अधिवेशन से देना चाहते हैं. बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर ने कहा था कि पाँच ऊंगली रहेंगी तो बिखर जाएँगी. पर ये मुट्ठी बन जाएँ तो देश का उत्थान, देश का विकास सुनिश्चित हो पाएगा. तो हमें मुट्ठी बनकर इस भाजपा का सामना करना होगा.

Bhopal: BJP leader Jyotiraditya Scindia being felicitated by party leader Shivraj Singh Chauhan, at party office in Bhopal, Thursday, March 12, 2020. (PTI Photo)(PTI12-03-2020_000214B)

आज पासा बिल्कुल पलटा हुआ है. ज्योतिरादित्य सिंधिया के मुंह से मोदी के लिये इतना प्यार निकलता है कि वो भूल गए की जो इस समय वो हैं उन्हें कांग्रेस ने वहां तक पहुंचाया है. खैर जनता के पास इसके जवाब है कि इन्हें किस श्रेणी में रखा जाये, “गद्दार या मंत्री”.

शठे शाठ्यम समाचरेत

ज्योतिरादित्य सिंधिया भले ही अब केंद्र में मंत्री बन गए हैं, लेकिन जनता के विश्वास के साथ जो खेला गया है उसे जनता कभी भूल नहीं सकती. सिंधिया को सत्ता का लालच इस कदर है कि जहाँ पलड़ा भारी दिखा वो उधर की ओर चल पड़े, उन्हें जनता की कोई परवाह नहीं है उसका खास उदाहरण रहा जब उनकी रैली में किसान की मृत्यु हुई लेकिन उन्हें अपने भाषण से मतलब था. सिंधिया की यह रैली मूंदी में थी. वहां वह मांधाता विधानसभा सीट उपचुनाव के लिए सभा कर रहे थे. इसमें मौजूद 70 वर्षीय एक किसान की कथित रूप से दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी लेकिन हमारे महाराज ने पूरी रैली और भाषण पूरा किया.

ऐसा इंसान मंत्री बनने लायक है, जिसनें खुद को बेच दिया, पार्टी के विश्वास के साथ खेला सिर्फ अपने मतलब के लिये. जो इंसान खुद का ज़मीर बेच सकता है वो कुछ भी कर सकता है. ये कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा की ज्योतिरादित्य सिंधिया के कई रूप हैं वो राजा का हो सकता है, मंत्री का, चोर का या फिर सिपाही का. जिस प्रकार कमलनाथ की सरकार गद्दारी करके गिराई उससे तो काफी कुछ सिद्ध होता है.