जीतू पटवारी ने पटवारी भर्ती परीक्षा को लेकर सीएम मोहन यादव से किए सवाल, कर्ज को लेकर राज्य सरकार को घेरा…
भोपाल : कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने सीएम मोहन यादव और प्रदेश सरकार से पटवारी भर्ती परीक्षा को लेकर सवाल किए है। उन्होने कहा कि इसे लेकर अब तक जांच रिपोर्ट क्यों नहीं आई है और बीजेपी के शासन में व्यापमं से शुरू हुए भर्ती घोटाले आखिर कब रुकेंगे। वहीं राज्य सरकार पर कर्ज लेने को लेकर भी आरोप जड़े हैं।
पटवारी परीक्षा को लेकर सरकार से किए सवाल
जीतू पटवारी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा है कि “पटवारी परीक्षा घोटाले की,जांच रिपोर्ट आखिर कब आएगी? सीएम मोहन यादव जी, चयनित उम्मीदवारों का भविष्य अधर में है! आपको भी कुर्सी संभाले अब एक माह का समय हो गया है! उम्मीद है कि पटवारी भर्ती घोटाले की सच्चाई जल्दी सामने आ जाएगी! यदि आप भूल रहे हों, याद दिला दूं कि – • 22 नवंबर 2022 : ESB की ओर से ग्रुप-2, सब ग्रुप-4 और पटवारी की संयुक्त भर्ती परीक्षा के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया था। • छात्रों ने 5 जनवरी 2023 से 19 जनवरी 2023 तक फॉर्म भरा। • लगभग 13 लाख अभ्यर्थियों ने भाग लिया। • 15 मार्च से 25 अप्रैल 2023 तक प्रदेश के 78 केंद्रों पर अलग-अलग शिफ्ट में परीक्षा हुई। • 9,78, 266 अभ्यर्थियों ने भाग लिया। • 30 जून को रिजल्ट जारी हुआ। • 8,600 अभ्यर्थियों का चयन भी हुआ। अब सवाल यह हैं कि – • रिजल्ट में टॉप 10 स्टूडेंट की जो सूची जारी हुई, उसमें 7 अभ्यर्थी ग्वालियर के NRI कॉलेज के थे. क्यों?•”
“फिर तत्कालीन मुख्यमंत्री ने ग्रुप-2, सब ग्रुप-4 और पटवारी भर्ती परीक्षा की जांच के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधिपति को नियुक्त भी कर दिया! लेकिन, रिपोर्ट अभी तक नहीं आई! क्यों? • हजारों युवा धरना, प्रदर्शन और आंदोलन कर रहे हैं! वे बार-बार पूछ रहे हैं कि बीजेपी के शासन में व्यापमं से शुरू हुए भर्ती घोटाले आखिर कब रुकेंगे? मुख्यमंत्री जी, मध्य प्रदेश के लाखों बेरोजगार युवा अब यह भी जानना चाहते हैं कि जांच का अंतिम परिणाम कब आएगा? और, जब आएगा तो इन सवालों का जवाब भी जरूर मिलेगा – 1- मेरिट लिस्ट 10 दिन बाद क्यों आई? 2- टॉप-10 में से 7 अभ्यर्थियों का सेंटर एक ही कॉलेज में क्यों था? 3- दिव्यांग कोटे से चयनित ज्यादातर मुरैना जिले के जौरा से और सबके उपनाम में त्यागी ही क्यों है? 4- कुछ अभ्यर्थी ऐसे भी थे, वन रक्षक भर्ती परीक्षा में फिट हैं, जबकि पटवारी भर्ती परीक्षा में विकलांग हैं. ऐसा क्यों हुआ? “
कर्ज को लेकर राज्य सरकार को घेरा
इसी के साथ उन्होने कहा है कि “मीडिया रिपोर्ट्स से पता चला था #मध्यप्रदेश सरकार मौजूदा वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में करीब 37.5 हजार करोड़ का कर्ज लेगी! इस नई मांग को मिलाकर 31 मार्च 2024 तक मप्र का सालाना कर्ज 50 हजार करोड़ से ज्यादा हो सकता है!
• यदि आर्थिक स्थिति इतनी बेहतर है, तो कर्ज की आवश्यकता क्यों पड़ रही है? किसानों को घोषणा-पत्र में दर्ज धान का समर्थन मूल्य नहीं मिला! गेहूं के समर्थन मूल्य ₹2700 प्रति क्विंटल की घोषणा भी नहीं हुई! लाड़ली बहनों ₹3000 प्रतिमाह देने का वादा भी अब तक अधूरा ही है! • यदि इतने भीषण आर्थिक अंधकार के बावजूद, आप विज्ञापनों के जरिए झूठ का उजाला दिखाएंगे, तो इसे सिर्फ सोच-समझ की संकीर्णता का नाम ही दिया जा सकता है! सच यह है कि, आपके द्वारा बताई जा रही “उपलब्धियां” बहुत ही बौनी हैं! सरकारी कर्ज का पहाड़ बहुत ऊंचा है!”