BhopalMadhya Pradesh

पोस्टमार्टम हाउस में शव बदले जाने के मामले की जाँच

जयारोग्य अस्पताल में लापरवाही के चलते पीएम हाउस में शव बदले जाने के मामले में जांच अधिकारी व एसडीएम लश्कर विनोद भार्गव ने मंगलवार को दोनों पक्षो के बयान दर्ज कर लिए। दूसरे का शव का अंतिम संस्कार करने वाले परिवार ने बताया कि सब कोरोना के डर से हुआ। शव पर न टैग था न कोई पर्चा,वहां चपरासी ने कोरोना डर बताया और मोहल्ले में भी आसपास के लोग यही कह रहे थे कि कोरोना चल रहा है,जल्दी अंतिम संस्कार कर आओ। इसलिए यह सब हो गया। वहीं इरत्याज के बेटे ने बयान में कहा कि हमारे पिता को कुछ ऐसा नहीं हुआ था और डॉक्टरों ने ऑपरेशन में गलती की और खुलासा न हो इसलिए शव बदलवा दिया। जेएएच प्रबंधन से कोई नहीं आया तो अब प्रशासन नोटिस देकर बुलाएगा।

ज्ञात रहे कि 13 अगस्त की रात को इरत्याज की मृत्यु हो गई थी। इरत्याज का शव आइसोलेशन वार्ड से पीएम हाउस में रखवा दिया गया था। परिजनों को कोरोना की रिपोर्ट आने पर शव सुपुर्द के लिए कहा गया था। 15 अगस्त की शाम को इरत्याज की रिपोर्ट निगेटिव आई तो परिजन शव लेने के लिए पीएम हाउस पहुंचे। पीएम हाउस में रखे 5 शवों में इरत्याज के बेटे हैदर को शव पहचानने के लिए कहा। हैदर ने उन पांच शवों में पिता का शव न होने की बात कही। जिस पर अस्पताल प्रबंधन सन्न रह गया। तब खोज खबर ली गई तो पता चला कि शिंदे की छावनी के सुरेश बाथम का शव 14 अगस्त को रखा गया था उसी दिन उन्हें सुपुर्द कर दिया गया जिसकी रजिस्टर में इन्ट्री थी। तब सुरेश के परिजनों से संपर्क किया तो उन्होंने यह बात स्वीकार कर ली कि गलती से वह अपने पिता की जगह किसी अन्य का शव ले गए और उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया।

दो पक्षों ने क्या कहा:
रजत बाथम ने बयान में बताया कि उसको खुद कोरोना हो गया था और फिर पिता भर्ती हुए। जेएएच में पिता की मौत हो गई और रिपोर्ट निगेटिव आई। शव लेने जब पोस्टमार्टम हाउस गए तो वहां शव पर टैग नहीं था और पिता के शव को पहचान नहीं पा रहा था। इतने में चपरासी ने कहा कि जल्दी ले जाओ शव कोरोना का समय है। मैं खुद कोरोना पीड़ित रह चुका था तो डर भी लग रहा था इसलिए बिना देखे शव ले लिया। मोहल्ले में लोग भी डर में थे और समझ रहे थे कि कोरोना से पिता की मृत्यु हो गई इसलिए जल्दी अंतिम संस्कार को कहा। हमने बिना देखे अंतिम संस्कार कर दिया।

इरत्याज के बेटे सिकंदर ने बताया कि उनके पिता को कोई ऐसी खास बीमारी नहीं थी और वे चलकर गए थे। ऑपरेशन में जेएएच के डॉक्टरों से कुछ गडबड़ हुई है जो हमें बताया गया नहीं गया। पिता चलकर अस्पताल गए थे और अच्छे खासे थे। दो घंटे का अंतर ही था और अचानक दो घंटे में ऐसा क्या हो गया कि उनको बचा नहीं पाए। डॉक्टरों ने अपने गलत इलाज को छिपाने के लिए यह किया और शव को इस तरह बदलवा दिया।

बयान दर्ज हुए

दोनों परिवारों के बयान दर्ज मंगलवार को कर लिए गए हैं। जेएएच प्रबंधन से कोई नहीं आया तो नोटिस देकर बुलाया जएगा। अब आगामी बिंदुओं पर जांच की जाएगी।

विनोद भार्गव,एसडीएम,लश्कर