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इंदौर पुलिस ने पकड़ी रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजरी करने वाली गैंग

कोरोना संक्रमण के इस संकटकाल में कई लोग गलत तरह से अपनी जेबें भरने में लगे हैं. कोई ऑक्सीजन की कालाबाजारी कर रहा है तो कोई रेमडेसिविर इंजेक्शन की. राज्यभर में कालाबाजारी रुकने का नाम नहीं ले रही है.

लेकिन इंदौर पुलिस को इस मामले में कुछ सफलता हाथ लगी है. इंदौर पुलिस ने चार कालाबाजारियों को पकड़ा है. ये आरोपी सोशल मीडिया पर समाजसेवा के नाम पर रेमडेसिविर की ब्लैक मार्केटिंग कर रहे थे. ये चारों उस गैंग को रेमडेसिविर उपलब्ध कराते थे, जो मजबूर लोगों को अपना शिकार बनाता है.

पुलिस के मुताबिक, पकड़े गए आरोपियों में से 2 के पिता भी अपराधी हैं. इस गैंग की मदद करने में एक अस्पताल का नाम भी सामने आ रहा है. विजय नगर टीआई तहजीब काजी ने बताया कि रेमडेसिविर कालाबाजारी गैंग के अभी तक 10 आरोपियों को पुलिस पकड़ चुकी है. पकड़े गए लोगों ने तीन ऐसे आरोपियों के नाम भी बताए हैं, जो इन्हें इंजेक्शन उपलब्ध कराते थे. ये अभी फरार हैं.

बैंककर्मी और युवतियां भी जुड़ी हैं गैंग से

काजी के मुताबिक, एक आरोपी दिनेश चौधरी का पिता बंशीलाल और दूसरे आरोपी धीरज का पिता तरुण साजनानी भी अपराधी रह चुके हैं. पुलिस धीरज का भी रिकॉर्ड खंगाल रही है. टीआई का कहना है इस गैंग से बैंककर्मी और अन्य युवतियां भी जुड़ी होने की बात पता चली है. ये एक अस्पताल में पूरी गैंग बनाकर काम कर रहे थे.

18 अप्रैल को नर्स भी हुई थी गिरफ्तार

गौरतलब है कि पिछले महीने की 18 तारीख को एक नर्स भी रेमडेसिविर की कालाबाजारी करते हुए गिरफ्तार हुई थी. पुलिस ने नर्स सहित 3 लोगों को रेमडेसिविर इंजेक्शन की ब्लैकमार्केटिंग करते पकड़ा. नर्स 35 हजार में एक इंजेक्शन बेच रही थी. जानकारी के मुताबिक, बारोड़ हॉस्पिटल की नर्स कविता चौहान, रेमडेसिविर निर्माता कंपनी जेडेक्स में एमआर शुभम परमार और उसके भाई बीएचएमएस डॉक्टर भूपेंद्र पिता पुरुषोत्तम परमार को पुलिस ने रेमडेसिविर की कालाबाजारी करते पकड़ा.

पुलिस ने पूरी योजना बनाकर इनको रंगे हाथों गिरफ्तार किया. राजेंद्र नगर टीआई अमृता सोलंकी बाकायदा ग्राहक बनकर इनके पास पहुंचीं और डिलीवरी बापट चौराहे पर करने की बात कही. जैसे ही आरोपी पहुंचे उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.