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ग्वालियर के शीतला मां के मंदिर में डकैत शीश नवाते थे और मुराद पूरी होने पर बड़े-बड़े घंटे चढ़ाते थे

पूरा देश नवरात्रि के त्यौहार में मां दुर्गा की भक्ति में लीन है. सभी प्राचीन देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है, मध्यप्रदेश में भी माता के कई ऐतिहासिक और प्राचीन देवी मंदिर हैं. जिनकी अपनी-अपनी आस्था और मान्यता है, लेकिन आज हम आपको ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं जहां डकैत अपनी जान-माल की रक्षा के लिए शीश नवाते थे. पुलिस को उनका आतंक खत्म करने के लिए उन्हीं देवी माँ से विशेष प्रार्थना करनी पड़ी थी.

डकैत पुलिस को चैलेंज देकर चढ़ाते थे घंटे

ग्वालियर का ये प्राचीन देवी माता मंदिर कभी डकैतों की आस्था का बड़ा केंद्र रहा है. इस मंदिर में डकैत पुलिस को चैलेंज देकर घंटे चढ़ाया करते थे और मां से अपने जीवन के अभय वरदान की मन्नत मांगते थे. पुलिस को इनका अंत करने के लिए बदले में मां के मंदिर में घंटा चढ़ाना पड़ता था. हम बात कर रहे हैं, ग्वालियर जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर घने जंगल में बने अति प्राचीन शीतला माता मंदिर की, जिन्हें डकैतों की देवी भी कहा जाता है. कहते हैं ये मंदिर 1669 वर्ष पुराना है.

80-90 के दशक में डकैतों का आतंक


भले ही ग्वालियर चंबल अंचल में डकैतों का खात्मा हो गया हो लेकिन कभी ग्वालियर चंबल अंचल में डकैतों का अच्छा खासा आतंक था. 90 के दशक तक कई दुर्दांत डकैत पुलिस के लिए चुनौती बनते रहे. ग्वालियर चंबल अंचल की भौगोलिक स्थिति यहां के बीहड़ और घने जंगलों में डकैतों की तूती बोला करती थी. लेकिन डकैत देवी मां के बड़े भक्त थे. यह डकैत ग्वालियर के नजदीक के जंगल में  स्थित सांतऊ शीतला माता पर माथा टेकने जरूर आया करते थे. इनमें ग्वालियर चंबल के वह कुख्यात डकैत मोहर सिंह, मलखान सिंह, डाकू माधौसिंह और दयाराम रामबाबू गडरिया गैंग भी शामिल हैं. जिनके नाम से ही लोग कांप जाते थे. इनका आतंक यूपी और राजस्थान तक था. ये डकैत मंदिर में शीश नवाते थे और मुराद पूरी होने पर बड़े-बड़े घंटे चढ़ाते थे.