BhopalMadhya Pradesh

शिवराज सरकार में अब मंत्रियों के जिलों के बंटवारे पर फंसा पेच, सिंधिया ने लगाया दम

भोपाल। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार एकबार फिर से दुविधा और असमंजस में फंसी नजर आ रही है। इस बार भी यह समस्या सिंधिया के कारण है। पहले शिवराज मंत्रिमंडल का गठन, फिर विस्तार, मंत्रियों के बीच विभागों के बंटवारे के बाद अब यह मामला फंसा नजर आ रहा है।

शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार 2 जुलाई को हुआ था. लेकिन डेढ़ महीने बीतने के बाद अब तक मंत्रियों के बीच जिलों का प्रभार नहीं बंट पाया है। इसके पीछे बड़ी वजह मंत्रियों के बीच बड़े जिलों की कमान को लेकर मची खींचतान माना जा रहा है। कांग्रेस ने डेढ़ महीने बाद भी मंत्रियों को जिलों का प्रभार नहीं देने पर सवाल उठाए हैं।
पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने कहा कि पहले मंत्रिमंडल विस्तार फिर विभागों के बंटवारे में हुई देरी और अब मंत्रियों को अब तक जिलों का प्रभार नहीं सौंपा गया है। शिवराज सरकार में हर फैसला देर से हो रहा है इससे जनता परेशान है।

हर काम में मारामारी
प्रदेश में कमलनाथ के इस्तीफे के बाद से सरकार में मंत्रिमंडल गठन, विस्तार और जिलों के बंटवारे तक हर काम में लंबा खींच रहा है।

ऑल इज वेल
प्रदेश के कैबिनेट मिनिस्टर गोपाल भार्गव ने कहा है जिलों के प्रभार को लेकर सरकार में कोई मुश्किल नहीं है। कोरोना संक्रमण में मुख्यमंत्री से लेकर तमाम मंत्री हर दिन बैठक कर फैसले ले रहे हैं. जिला स्तर पर होने वाले फैसलों को लेकर फिलहाल कोई मुश्किल नहीं है। हालात सामान्य होने पर मंत्रियों के बीच जिलों का प्रभार पर भी फैसला हो जाएगा। जिलों में प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता में होने वाली बैठकों में स्थानीय विकास, निर्माण कार्यों से लेकर त्योहारों के आयोजन तक पर फैसले होते हैं. ऐसे में मंत्रियों बीच जिलों का प्रभार अब तक न बंट पाने पर सवाल उठने लगे हैं।

उपचुनाव वाले जिलों में मुश्किल
प्रदेश सरकार के लिए मुश्किल उन जगहों पर है जहां उपचुनाव होना हैं। इनमें सागर, इंदौर, ग्वालियर, मुरैना, गुना, अशोकनगर जिले शामिल हैं। खबर ये है कि खींचतान इस बात पर है कि भारी भरकम और मलाईदार विभागों के बाद अब सिंधिया खेमे की नज़र बड़े जिलों में है। साथ ही मुश्किल इस बात को लेकर भी है कि सागर जैसे जिले में जहां पर उपचुनाव होना है वहां से तीन मंत्री बनाए गए हैं, ऐसे में समस्या ये है कि कहां पर किस को किस जिले का प्रभार दिया जाए। यानी सिंधिया खेमे के कारण अब काम और कदम में अड़चन है।