हनीट्रैप मामला : एसआईटी की जांच में जिनके नाम हैं उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए : हाई कोर्ट
इंदौर। मध्यप्रदेश का चर्चित हनीट्रैप मामला सीबीआई को सौंपने, जांच पर निगरानी के लिए संवैधानिक कमेटी गठित किए जाने को लेकर दायर की गई जनहित याचिकाओं पर हाई कोर्ट की डिविजन बेंच ने फैसला सुना दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि एसआईटी की जांच में जिन लोगों के नाम सामने आए हैं, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। हैदराबाद स्थित सेंट्रल फोरेंसिक साइंस लैब से गैजेट्स की रिपोर्ट आने के बाद जिनके नाम सामने आए हैं, उनके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाए।
जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा, जस्टिस शैलेंद्र शुक्ला की डिविजन बेंच ने शनिवार को यह आदेश जारी किया है। कोर्ट ने फैसले में कहा कि इस मामले की प्रोग्रेस रिपोर्ट पेश की गई। कोर्ट ने इस रिपोर्ट पर विचार किया है। सीलबंद रिपोर्ट वापस एसआईटी को सौंप दी गई है। एसआईटी इस मामले में कार्रवाई करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है। वह अपने हिसाब से कोई भी कदम उठा सकती है।
सीबीआई को जांच क्यों सौंपी जाए, इस संबंध में याचिकाकर्ता कोई ठोस दस्तावेज, तथ्य पेश नहीं कर पाए। इस मामले में शामिल ऐसे आरोपी जो अब तक फरार हैं उन्हें गिरफ्तार कर इस बेंच के प्रिसिंपल रजिस्ट्रार को सूचित भी किया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह ऐसा नहीं, जिसे सीबीआई को सौंपा जाए। इस मामले की जांच के लिए बनी एसआईटी पर हाई कोर्ट सुपरविजन कर रहा है। समय-समय पर कोर्ट ने प्रोग्रेस रिपोर्ट तलब भी की है। एसआईटी की जांच से कोर्ट संतुष्ट है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट मनोहर दलाल, लोकेंद्र जोशी, निधि बोहरा, धमेंद्र चेलावत ने पैरवी की थी। जबकि एसआईटी की ओर से महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव, शासन की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव ने पक्ष रखा।