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रिव्यू: अगर सलमान खान के फैन हैं तो ‘राधे राधे’, नहीं तो आपको 1 घण्टे बाद ऑक्सीजन सिलिंडर की जरूरत पड़ सकती है…

साल की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘राधे योर मोस्ट वांटेड भाई’ 13 मई को रिलीज हो चुकी है. प्रभुदेवा के निर्देशन में बनी इस फिल्म में सलमान खान, रणदीप हुडा और दिशा पटानी मुख्य किरदारों में नजर आए. जहां सलमान खान इस फिल्म को लेकर बेहद उत्साहित हैं, वहीं समीक्षकों से फिल्म को मिली जुली प्रतिक्रिया मिली है.

सलमान खान फिल्म्स ने जी स्टूडियो के साथ मिलकर प्रस्तुत किया है. सलमा खान, सोहेल खान और रील लाइफ प्रोडक्शन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा इसे प्रोड्यूस किया गया है. इसे ZEE5 पर ‘पे-पर-व्यू’ मॉडल पर जीप्लेक्स पर देखा जा सकता है. डीटीएच प्लेटफॉर्म जैसे डिश, डी2एच, टाटा स्काई और एयरटेल पर भी उपलब्ध है.

बढ़ते हैं कहानी की ओर

कुछ नया नहीं कह सकते वही पुराने प्लाट की तरह राधे योर मोस्ट वॉन्टेड भाई की कहानी है राधे नाम के पुलिसवाले की है, जो मुंबई शहर का सबसे बढ़िया अफसर है. 10 सालों में 97 एनकाउंटर करने और 23 ट्रांसफर पाने के बाद राधे की इमेज एक ऐसे अफसर की है, जो दुश्मन को उस ही के अंदाज में पछाड़ता है. फिल्म की शुरुआत में राधे किसी सुपरहीरो की तरह एंट्री लेता है. वो बिजली से भी तेज है, उसको देखकर ही लोगों की जान चली जाती है और वो अकेला ही 10 आदमियों का काम तमाम कर देता है. शहरभर में जब ड्रग्स माफिया अपना शिकंजा कसते हैं, तो सस्पेंड राधे को दोबारा ड्यूटी पर बुलाया जाता है. अब इन ड्रग्स माफिया का जिम्मा राधे के सिर है और वो अपने अंदाज में सबका काम तमाम करने को तैयार है. 

फ़िल्म में कोई लॉजिक और सेंस नहीं

अगर आप सलमान खान के फैन हैं तो जरूर देखिये लेकिन अगर आप आर्ट मूवी वाले दर्शक हैं तो मैं सलाह दूंगी की कतई इस मूवी को मत देखें वरना 1 घण्टे बाद आपको ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत पड़ सकती है क्योंकि इस मूवी में कोई लॉजिक सेंस नहीं है. राधे का एंट्री सीन. बदमाश के ठिकाने में घुसता है. टिपिकल हीरो की तरह. कांच की बड़ी खिड़की को तोड़कर. कांच के टुकड़े हवा में हैं. और राधे इन्हीं के बीच से अंदर आ रहा है. अपनी बड़ी-बड़ी आंखें खोले. कोई डर नहीं कि कांच के टुकड़े आंख में लग सकते हैं. चेहरे में धंस सकते हैं. लेकिन असली कैच तो आगे है. जब वो हवा में झूल रहे कांच के टुकड़ों में से एक को मुंह से लपककर बदमाश के गुर्गे पर हमला कर देता है. ये सब कुछ होता है चंद सेकंड्स में. 

साफ शब्दों में मैं कहूँ तो यह मूवी मीमर्स को अच्छा कंटेंट दे सकती है

विलेन की बात करें तो

रणदीप हुड्डा एक वर्सेटाइल एक्टर हैं और हर रोल को संजीदगी से निभाते हैं. . रणदीप को चाहे जितने भी सीन मिले हों, वो बड़ी आसानी से ‘स्टैंड आउट’ कर जाते हैं. उनके अलावा फिल्म में जैकी श्रॉफ भी हैं. पुलिसवाले बने हैं. पूरी फिल्म में इनके और राधे के बीच खिटपिट चलती रहती है. ऐसे सीन्स से कॉमेडी निकालने की कोशिश की गई. लेकिन कमजोर राइटिंग की बदौलत ऐसा हो नहीं पाया. सही कहा जाये तो हसने से ज्यादा आपको उन सीन्स में इर्रिटेशन होगी कि आखिर क्यों ही कर रहे हैं ये फालतू के सीन्स.

इस फ़िल्म में भी विलेन ने हीरो से ज्यादा अच्छा काम किया है और सलमान भाई एक्टिंग करते कहाँ है बस एक्टिंग हो जाती है

अब आते हैं फ़िल्म की हेरोइन पर

फिल्म की हिरोइन हैं दिशा पाटनी. हिरोइन इसलिए क्योंकि यहां इनका रोल ऐसा ही है. इनके किरदार दिया का अस्तित्व सिर्फ हीरो के इर्द-गिर्द ही घूमता है. दिया फिल्म में हो या नहीं, किसी को कुछ खास फर्क नहीं पड़ेगा. ऐसा लगता है कि वो बस ग्लैमर अपील के लिए फिल्म में हैं. बिना हेरोइन के भी फ़िल्म बन सकती है ये कोई हमारे सलमान भाई को समझाओ की जबरदस्ती किसी कैरेक्टर को घुसना फ़िल्म अच्छा नहीं बल्कि और बर्बाद करता है.

सीधी बात हेरोइन के बिना भी ये मूवी चल सकती थी, ग्लेमर लाने के लिये सिर्फ दिशा पाटनी मूवी में दिख रहीं हैं

रेटिंग

IMDb- 2.1/10
Critic- 3/5

खुशी की बात तो ये है कि मल्टीप्लेक्स में ये मूवी ज्यादा चूना लगाती, अच्छी बात ये है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई है