Indore

इंदौर के छात्रों पर इंजीनियरिंग का पहरा मास्क नहीं लगाया तो सीसीटीवी उजागर करेगा चेहरा

शहर के श्री गोविंदराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान (एसजीएसआइटीएस) अपने परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों में ऐसे सेंसर लगा रहा है जिससे यहां बिना मास्क घूमने वाले विद्यार्थियों की पहचान आसानी से हो सकेगी। ऐसे विद्यार्थियों के फुटेज में स्क्रीन पर रेड पाइंट दिखेगा जिससे संस्थान के अधिकारी सचेत हो जाएंगे। इन विद्यार्थियों की परिसर में लोकेशन ट्रेस कर उन्हें मास्क पहनने को लेकर समझाइश दी जाएगी।कोरोना की दूसरी लहर में इंदौर ने काफी नुकसान सहा था। मास्क नहीं लगाकर दूसरों को खतरे में डालने वालों की पहचान के लिए कालेज के आइटी विभाग की प्रोफेसर पूजा गुप्ता और उपेंद्र सिंह ने कैमरे से मास्क की पहचान करने के लिए उपकरण तैयार किया था। इसके अलावा कालेज के प्रोफेसरों ने हैंड सैनिटाइजर मशीन, यूवी सैनिटाइजेशन (स्टेरलाइजर), तापमान जांचने की मशीन और अन्य कई उपकरण बनाए हैं।संस्थान के निदेशक प्रो. राकेश सक्सेना का कहना है कि मास्क डिटेक्शन का हम कितने बड़े स्तर पर उपयोग कर सकते हैं। कुछ ही समय में संस्थान में लगे सभी सीसीटीवी कैमरो में सेंसर लगा दिए जाएंगे। उसके बाद परिसर के किसी भी कोने में बिना मास्क के घूमने वालों की आसानी से पहचान हो सकेगी।सिस्टम ऐसे काम करेगा- संस्थान में 100 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगे हैं- अभी इनसे परिसर की निगरानी रखी जाती है- संस्थान के आइटी, इलेक्ट्रानिक्स और इंस्टूमेंटेशन विभाग के प्रोफेसर्स की मदद से सीसीटीवी कैमरों में सेंसर लगेंगे- सेंसर की सहायता से बिना मास्क के घूमने वालों की जानकारी अलार्म, एसएमएस या ईमेल से अधिकारियों को मिलेगी- भविष्य में संस्थान आर्टिफिशियल इंटेलीजेंट, मशीन लर्निंग का उपयोग करेगा- संस्थान के पांच हजार विद्यार्थियों की चेहरे की इमेज सर्वर में फिट की जाएगी।ग्रीन और रेड सिग्नल के संकेतों को आवाज में बदला जाएगामास्क डिटेक्टर तकनीक में मास्क लगाने वाले की जानकारी कंप्यूटर स्क्रीन पर ग्रीन सिग्नल के रूप में दिखाई देगी। मास्क नहीं लगाने वाले व्यक्ति के फोटो पर रेड सिग्नल दिखाई देगा। मास्क डिटेक्टर तकनीक को कैमरों में फिट करने के बाद संस्थान ग्रीन और रेड सिग्नल को आवाज में बदलेगा। इससे मास्क नहीं लगाने वाले की पहचान जिस कैमरा नंबर पर होगी उस जगह के पास के सुरक्षा गार्ड रूम में बीप की आवाज आएगी। संस्थान के अधिकारियों का कहना है कि सेंसर की मदद से कंप्यूटर को मिल रहे सिग्नल को भविष्य में साफ्टवेयर की मदद से एसएमएस से भी जोड़ा जा सकेगा।