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कुंडली में शनि भारी है तो इस मंत्र का करे नियमित जाप

शनि ग्रह के प्रति अनेक बातें पुराणों में मिलती हैं। शनि  को सूर्य पुत्र माना जाता है. लेकिन साथ ही शनि ग्रह के सम्बन्ध में अनेक भ्रान्तियां और इसलिए उसे मारक, अशुभ और दुख कारक माना जाता है. ज्योतिष भी इसे दुख देने वाला मानते हैं. जिस भी व्यक्ति की कुंडली में शनि भारी होता है उसे कई प्रकार के दुखों का सामना करना पड़ता है. शनि का कर्मकुंडली में होना ही इंसान को डरा देता है. आपकी कुंडली में शनि किस भाव में है, इससे आपके पूरे जीवन की दिशा, सुख, दुख आदि सभी बात निर्धारित हो जाती है. आइए जानते है कि शनि की शांति के लिए हम क्या उपाय कर सकते है :

अगर जन्म या वर्ष कुंडली में शनि अशुभ फल प्रदायक हो, तो किसी विद्वान ज्योतिषी से पूछकर शुभ मुहूर्त में निम्नलिखित मंत्रों में से किसी एक मंत्र का 23 हजार बार जाप करना चाहिए. वहीं उसी मंत्र सहित दशांश की संख्या में हवन करने से विशेष शुभ प्रभाव पड़ता है.

वेदोक्त शनि मंत्र

ऊं शन्नो देवी रभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शंय्यो रभिस्त्रवन्तु न: ।। शं नम:।।
तन्त्रोक्त शनि मंत्र-
ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्र्चराय नम:।

पुराणोक्त मंत्र

ह्रीं नीलाजंन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छाया मार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्र्चरम्।।

विशेष

वैदिक मंत्रों को यज्ञोपवीतधारी (जनेऊ धारण करने वाला) व्यक्ति को ही जप करने का अभिकार होता है. जन साधारण को तंत्रोक्त व पुराणोक्त मंत्र की यथेष्ठ संख्या में जप करना चाहिए. अगर आप खुद जप नहीं कर सकते तो किसी ब्राहम्ण द्वारा भी पाठ करा सकते हैं.

शनि के दान योग्य वस्तुएं

नीलम, लोहा, तिल, उड़द, सरसों का तेल, काला वस्त्र, जूता, छाता, नारियल इत्यादि. इसके आलावा आप शनिवार को व्रत भी रख सकते है.