5 लाख पेंशनर्स को 6 महीने से दवा नहीं मिलने पर मानवाधिकार आयोग सख्त, मांगी रिपोर्ट
भोपाल। मध्यप्रदेश के सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों ने शायद इससे बुरा आज तक नहीं देखा हो। जब उनको अपने हक के लिए और दवाओं के लिए छह महीने से प्रदेश सरकार के रहमो करम पर रहने के लिए मजबूर होना पड़ा हो।
मध्य प्रदेश में पांच लाख पेंशनर्स को पिछले 6 महीने से अस्पताल में दवा नहीं मिली है। साथ ही अस्पताल में उनका रजिस्ट्रेशन भी बंद पड़ा है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि अस्पतालों को पर्याप्त बजट नहीं मिला है। पैसा न मिलने के कारण अस्पताल प्रशासन दवाइयां नहीं खरीद पा रहा है। अब इस मामले में मध्य प्रदेश राज्य मानव अधिकार आयोग ने सरकार से रिपोर्ट मांगी है।
अस्पतालों में पेंशनर्स का रजिस्ट्रेशन भी सब बंद पड़ा है। एमपी में हर साल एलोपैथिक,आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवाओं के लिए 5 करोड़ का बजट अलॉट होता है। इस साल अप्रैल तक अस्पतालों को बजट जारी नहीं किया गया। पैसा न होने के कारण इन सभी सरकारी अस्पतालों में इस बार दवाइयां नहीं खरीदी जा सकीं। इसलिए पेंशनर्स को दवाइयां नहीं मिल पा रही हैं।
इन जिलों पर ज्यादा असर
प्रदेश में सबसे ज्यादा पेंशनर्स भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में हैं. यहां दो-दो लाख पेंशनर्स हैं। अस्पताल में दवा नहीं मिलने के कारण इन्हीं जिलों में सबसे ज्यादा असर हुआ है। पेंशनर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी गणेश जोशी ने बताया कि जब दवाइयों के लिए बजट ही नहीं मिल रहा है तो अस्पताल प्रशासन भी कहां से दवाइयां खरीदे। इसके अलावा नए रजिस्ट्रेशन भी बंद है. पेंशनर्स को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा है। एक अप्रैल से पेंशन कार्ड भी बनना बंद हो गए हैं।
मानव अधिकार आयोग ने रिपोर्ट मांगी.
ये बात जब राज्य मानव अधिकार आयोग तक पहुंचने पर इस मामले में मुख्य सचिव के साथ प्रमुख सचिव वित्त विभाग और लोक स्वास्थ्य कल्याण विभाग से रिपोर्ट मांगी है। यह रिपोर्ट 4 सप्ताह के अंदर मानव अधिकार आयोग को देना है। इस रिपोर्ट में प्रशासन को यह बताना पड़ेगा कि इन पेंशनर्स को आखिरकार किन कारणों से दवा नहीं दी जा रही है। उनके अस्पतालों में रजिस्ट्रेशन क्यों बंद है। पेंशन कार्ड क्यों बनना बंद हो गए। इस रिपोर्ट के आधार पर मानव अधिकार आयोग आगे की वैधानिक कार्रवाई करेगा।