काशी में कैसे निकलती है बाबा भोले की बारात…….
काशी नगरी बाबा विश्वनाथ के नाम से ही जाना जाता है. यहां भोलेनाथ के अल्हड़पन और मस्ती हमेशा सराबोर रहता है. कहा जाता है कि काशी भोलो शंकर की त्रिशूल पर बसा हुआ है. यहां बाबा का त्योहार यानि शिवरात्रि जैसे पर्व काफी धूमधाम से मनाई जाती है. शिवरात्रि के दिन बाबा का बारात निकलता है जिसमें सभी बम-बम की जयकारा लगाते हुए बाबा विश्वनाथ के बारात में शामिल होता है. काशी में हर शिवरात्रि पर बाबा की बारात निकलती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिव जी की बारात शिवरात्रि को ही क्यों निकलती है आइये जानते है.
इसलिए निकलती है बाबा भोले की बारात
मान्यता है कि लम्बे समय की तपस्या के बाद मां पार्वती शिव जी को पाई हैं. भोलेनाथ से पीड़कर्म का उन्होंने संकल्प लिया था. उस समय मां जगदम्बका से शिव जी प्रसन्न होकर हिमालय की ओर बारात लेकर चल पड़े. वह शिवरात्रि का ही शुभ मुहुर्त था. जब भगवान शंकर अपनी बारात मां पार्वती के आंगन लेकर पहुंचे थे.
शिवालयों से निकलती है यह बारात
महाशिवरात्रि पर सातवार और नौ त्योहार के शहर बनारस में शिवरात्रि पर जगह-जगह शिवालय से शिव बारात निकालने की परंपरा है. बाबा के बारात में भूत, प्रेत, दानव, असुर, अड़भंगी, साधू-संयासी और देवी-देवता सभी बाराती बनते हैं. ऐसे ही सात समुंदर पार से आए शिव भक्त भी इस बार शिव बारात में शामिल होते हैं.
सबसे पहले तिलभांडेश्वर मंदिर से निकलती है बारात
महाशिवरात्रि के पावन मौके पर काशी में तमाम जगहों से शिव-बारात निकालने की परम्परा है. इन्ही में से एक भेलूपुर इलाके में स्थित तिलभांडेश्वर मंदिर है जहां कई वर्षों से सबसे पहले निकलती है. यह बारात शहर के विभिन्न इलाकों से हुए वापस तिलभांडेश्वर मंदिर पर आकर खत्म होती है.