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इंदौर में बिना मास्क 4 घंटे तक कार्यक्रम में दिखे गृह मंत्री नरोत्तम, बोले- मैं तो मास्क पहनता ही नहीं हूं, इसमें क्या होता है !

इंदौर। जब व्यवस्था बनाने वाला ही अव्यवस्था पर उतर आए तो आगे भगवान ही मालिक है। कुछ ऐसा ही दृश्य इंदौर में देखने को मिला। कोरोना संक्रमण से जूझ रही जनता के बीच मध्यप्रदेश के गृहमंत्री ही चार घंटे तक सार्वजनिक कार्यक्रम में बिना मास्क के रहे। और पूछने पर कहा कि मैं तो मास्क पहनता ही नहीं हूं और इससे क्या होता है।

मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा बुधवार को शहर में करीब 4 घंटे तक कई कार्यक्रमों में शामिल हुए। पहले वे अनुग्रह सहायता राशि वितरण कार्यक्रम में शामिल होने रवींद्र नाट्यगृह पहुंचे। इसके बाद नए कंट्रोल रूम का उद्घाटन किया। सभी कार्यक्रमों में गृहमंत्री बिना मास्क के नजर आए। जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बेहिचक कह दिया कि वे तो मास्क पहनते ही नहीं हैं। मैं यहां क्या- किसी कार्यक्रम में मास्क नहीं पहनता, इसमें क्या होता है।

इंदौर में बुधवार को सार्वजनिक कार्यक्रम में बिना मास्क के दिखे।


दरअसल, इंदौर वही शहर है, जहां मास्क नहीं पहनने वालों पर निगम टीम चालानी कार्रवाई कर रही है। मास्क नहीं लगाने वालों पर 100 रुपए जुर्माना लिया जा रहा है। इसे लेकर विवाद भी हो रहे हैं, लेकिन गृह मंत्री का मास्क को लेकर ऐसा जवाब, जनता पर क्या असर डालेगा।

2 लाख रुपए की कर्जमाफी नहीं हुई
किसानों के कर्जमाफी को लेकर कहा कि दो हजार और चार हजार रुपए कर्ज माफ हुए हैं। हम बात कर रहे हैं 2 लाख रुपए के कर्जमाफी की, वो नहीं हुए हैं। आप तो कांग्रेस-भाजपा के चक्कर में मत आओ। आप मीडिया वाले किसी गांव में सीधे जाओ, 10 दिन के भीतर राहुल गांधी जो 2 लाख का कर्ज माफ करने का कहकर गए थे। गांव के 10 किसानों से पूछ लो, उनके एक लाख हुए हों, डेढ़ लाख हुए हों, दो लाख हुए हों। उन्हें कैमरे के सामने बिठा लो तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

कमलनाथजी क्या जानें गरीबों का दर्द
मध्य प्रदेश में 15 महीने कांग्रेस की सरकार रही। कमलनाथजी मुख्यमंत्री रहे, उन्होंने गरीब के दर्द और पीड़ा को समझा ही नहीं। समझते भी कैसे- उद्योगपति हैं, बड़े आदमी के बेटे थे, सोने की चम्मच मुंह में लेकर पैदा हुए थे, गरीब का दर्द वे कहां जानते। अपने यहां शास्त्र में कहा गया है कि जाके पांव ना फटी बेमाई, वाे का जाने पीर पराई। सोने का चम्मच लेकर पैदा होने वाले कमलनाथजी को इस दर्द का एहसास ही नहीं है।