कारगिल युद्ध में भारत की जीत में ग्वालियर एयरबेस ने निभाई थी अहम भूमिका
भारतीय वायुसेना आज अपना स्थापना दिवस सेलिब्रेट कर रही है. 8 अक्टूबर 1932 को भारतीय वायुसेना का गठन किया गया था. अपने गठन के बाद से भारतीय वायुसेना ने अपने अदम्य साहस और वीरता से कई बार देश को गौरवान्वित किया है. वायुसेना के साहस और रणनीतिक कौशल की कई कहानियां इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं. साल 1999 में पाकिस्तान के साथ हुआ कारगिल युद्ध भी ऐसा ही मौका था, जब भारतीय वायुसेना ने कमाल की वीरता और तकनीकी दक्षता दिखाते हुए दुश्मनों के ठिकानों को ध्वस्त करते हुए उन्हें घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था.
ग्वालियर एयरबेस साबित हुआ था गेमचेंजर
कारगिल युद्ध के दौरान मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्थित एयर बेस गेम चेंजर साबित हुआ था. दरअसल भारतीय वायुसेना के सबसे मारक फाइटर जेट में से एक मिराज 2000 की स्कवाड्रन इसी एयरबेस पर तैनात है. कारगिल युद्ध में मिराज 2000 फाइटर जेट ने जो कारनामा किया, उसी ने कारगिल युद्ध के परिणाम को भारत के पक्ष में मोड़ने में अहम भूमिका निभाई थी.
टाइगर हिल पर कब्जे में थी अहम भूमिका
कारगिल युद्ध में टाइगर हिल की लड़ाई बेहद अहम थी. भारतीय वायुसेना ने रणनीतिक रूप से अहम इस चोटी को कब्जाने में काफी मदद की. वायुसेना ने मिराज 2000 फाइटर जेट की मदद से टाइगर हिल पर मौजूद दुश्मनों के बंकर तबाह किए. जिसके बाद भारतीय सैनिकों ने इस चोटी पर कब्जा जमा लिया था.
वायु सेना के अधिकारियों के अनुसार, मिराज 2000 फाइटर जेट की लेजर गाइडेड मिसाइलों ने गजब की सटीकता के साथ पाकिस्तानी सेना को काफी नुकसान पहुंचाया और उसके बंकर और हथियारों के जखीरे को निशाना बनाया. इससे पाकिस्तानी सेना को यह अंदाजा हो गया था कि भले ही वह पहाड़ों पर कितनी भी छिप ले, भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट उन्हें ढूंढकर पूरी सटीकता से अपना निशाना बना सकते हैं.
इजरायल ने की थी भारत की मदद
कारगिल युद्ध के दौरान सरकार का आदेश था कि भारतीय वायुसेना को एलओसी को पार नहीं करना है. ऐसे में पहाड़ों पर छिपे पाकिस्तानी सैनिकों के ठिकानों का पता लगाना और उन्हें निशाना बनाना भारतीय वायुसेना के लिए काफी मुश्किल साबित हो रहा था. ऐसे में इजरायल भारत की मदद के लिए आगे आया. इजरायल ने ही मिराज फाइटर जेट के लिए भारत को लेजर गाइडेड मिसाइल मुहैया कराई. इन्हीं लेजर गाइडेड मिसाइल की मदद से भारतीय वायुसेना ने पूरी सटीकता से पाकिस्तानी बंकरों को निशाना बनाया और इसके बाद कारगिल युद्ध की तस्वीर ही बदल गई.
क्यों खास है मिराज?
मिराज विमान सिंगल सीटर लड़ाकू विमान है. जिन्हें जरूरत पड़ने पर ट्विन सीटर भी बनाया जा सकता है. भारत के पास इन विमानों की अभी करीब 3 स्कवॉड्रन हैं. इस लड़ाकू विमान का वजन 7500 किलोग्राम के करीब है और यह कुल 17000 किलोग्राम वजन के साथ उड़ान भर सकता है. इसकी अधिकतम स्पीड 2.2 मैक (2336 किलोमीटर प्रतिघंटा) है, जो काफी बेहतर है. यह विमान भारतीय वायुसेना के लिए कितना खास है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बालाकोट एयरस्ट्राइक में भी इसी विमान का इस्तेमाल किया गया था.
मिराज फाइटर जेट साल 1985 में भारतीय वायुसेना में शामिल किए गए थे. इनका निर्माण राफेल फाइटर जेट बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट एविएशन ने ही किया था. 80 के दशक में जब पाकिस्तान को अमेरिका से एफ-16 जैसे आधुनिक लड़ाकू विमान मिले थे, उसी समय भारत ने मुकाबले के लिए फ्रांस की दसॉल्ट एविएशन से मिराज लड़ाकू विमानों की खरीद की थी. 2004 में मिराज फाइटर जेट्स को अपडेट किया गया है, जिसके बाद ये विमान साल 2030 तक भारतीय वायुसेना का हिस्सा रहेंगे.