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गोपाष्टमी पर गाय ,गुरु और गोविंद की पूजा से मिलेगा धन लाभ

ग्वालियर: कार्तिक शुक्ल पक्ष के दौरान आठवें दिन गोपाष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है. यह गायों की पूजा और प्रार्थना करने के लिए समर्पित एक त्यौहार होता है. इस दिन लोग गाय माता (गोधन) के प्रति अपनी कृतज्ञता और सम्मान प्रदर्शित करते हैं. मान्यता के अनुसार गोपाष्टमी की पूर्व संध्या पर गाय का पूजन करने वाले व्यक्तियों को एक खुशहाल जीवन और अच्छे भाग्य के साथ सुख समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है.

ज्योतिषाचार्य पं. सतीश सोनी के अनुसार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 22 नवंबर रविवार को परंपरागत ढंग से गोपाष्टमी के रूप में मनाई जाएगी. इस दिन गाय गुरु और गोविंद की पूजा करने से जातकों के घर में सुख समृद्धि के साथ धन की वृद्धि होगी. गोपाष्टमी का त्यौहार हिंदू घरों में मनाया जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार यह पर्व गोवर्धन पर्वत से जुड़ा है. भगवान श्री कृष्ण ने गोचर लीला इसी दिन से आरंभ की थी. भगवान श्री कृष्ण ने जब माता से गो सेवा करने की इच्छा व्यक्त की तो माता यशोदा ने उन्हें अनुमति नहीं दी, लेकिन बाल हठ के कारण उन्होंने शांडिल ऋषि से इसका मुहूर्त निकलवाया और यह मुहूर्त था कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी. तभी से गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाने लगा. वैसे तो हिंदू परिवारों में हर रोज गाय को पहली रोटी खिलाने की परंपरा है, लेकिन गोपाष्टमी के दिन गो पूजन का विशेष महत्व होता है. गोपाष्टमी पर गुरु गोविंद और गाय की पूजा के साथ गाे रक्षक ग्वाला को भी तिलक लगाकर मीठा खिलाया जाता है. वहीं जो बहनें भाई दूज के पर्व पर अपने भाइयों को तिलक नहीं कर पाईं, वह इस दिन अपने भाइयों को तिलक कर सकती हैं.