Bhopal

अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन के लिए शुरू हुआ था गणेश उत्स्व और विसर्जन

भोपाल : गणेश चतुर्थी का त्योहार पूरे देश में बड़ी ही उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है. गणेश चतुर्थी के बाद दस दिनों तक लगातार गणेशोत्सव की धूम देखने को मिलती है. गणेश चतुर्थी आस्था से तो जुड़ा ही हुआ है लेकिन स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में भी इसकी खास अहमियत रही है.

गणेशोत्सव से अंग्रेजों के खिलाफ शुरू की बगावत

आज से करीब 100 से पहले लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने ही गणेशोत्सव की नींव रखी थी. इस त्योहार को मनाने के पीछे का उद्देशय अंग्रेजों के खिलाफ भारतीयों को एकजुट करना था. आज जिस गणेशोत्सव को लोग इतनी धूम-धाम से मनाते हैं, उस पर्व को शुरू करने में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था.

ऐसे हुई थी विसर्जन की शुरुआत

1890 के दशक में स्वतंत्रता संग्राम के दौरान तिलक अक्सर चौपाटी पर समुद्र के किनारे बैठते थे और वे इसी सोच में डूबे रहते थे कि आखिर लोगों जोड़ा कैसे जाए. अंग्रेजों के खिलाफ एकजुटता बनाने के लिए उन्होंने धार्मिक मार्ग चुना. तिलक ने सोचा कि क्यों न गणेशोत्सव को घरों से निकालकर सार्वजनिक स्थल पर मनाया जाए, ताकि इसमें हर जाति के लोग शिरकत कर सकें.

तिलक अपने इस उद्देश्य में सफल हुए. उन्होंने धार्मिक माध्यम से लोगों को जोड़ना शुरू कर दिया. धार्मिक समारोह के साथ साथ वो देशवासियों को अंग्रेजों के खिलाफ संगठित कर रहे थे