BhopalMadhya Pradesh

शिवराज सरकार में पहले मंत्रालय और अब जिला प्रभार को लेकर हो रही है देरी

भोपाल: राज्य में शिवराज सरकार के गठन कोई भी कार्य वक़्त से नहीं हो पा रहा है. पहले बिना मंत्रीमंडल के सबसे ज्यादा दिन चलने का रिकॉर्ड बना. फिर मंत्री बना भी दिए गए तो तो मंत्रालयों का बटवारा नहीं हुआ. और अब सिंधिया समर्थक मंत्रियों के कारण जिले का प्रभार भी अटका हुआ है. मध्य प्रदेश में होने वाले उपचुनाव को देखते हुए सिंधिया समर्थक मंत्री अपने ही जिले का प्रभार चाहते हैं. बीते 2 जुलाई को शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार और 13 जुलाई को मंत्रियों के विभागों का बंटवारा हुआ था. उसके 15 दिन पहले सीएम शिवराज ने सभी मंत्रियों से वन टू वन कर उनकी प्राथमिकता और प्रभार वाले जिलों के संबंध में ली थी.

सीएम ने मंत्रियों से कहा था कि उन्हें जल्द जिलों के प्रभार भी सौंप दिए जाएंगे. 24 जुलाई को सीएम की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के कारण उन्हें अस्पताल में एडमिट होना पड़ा. ऐसे में संभावना है कि अस्पताल से लौटने के बाद मुख्यमंत्री सभी मंत्रियो से वन टू वन कर एक बार फिर जिलों के प्रभार के संबंध में चर्चा कर सकते हैं. फिलहाल 14 अगस्त तक मंत्रियों के दौरों पर रोक लगाई गई है. संभावना है कि 15 अगस्त से पहले मंत्रियों को उनके प्रभार वाले जिलों की जिम्मेदारी मिल जाए.

अपनी पसंद के जिलों का प्रभार चाहते हैं मंत्री

भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ ही अफसरों में भी इस बात को लेकर चर्चा है कि उनके जिले का प्रभारी मंत्री कौन होगा. सूत्रों का कहना है कि तुलसी सिलावट ने इंदौर, प्रद्युम्न सिंह तोमर ने ग्वालियर, एंदल सिंह कंसाना ने मुरैना, प्रभुराम चौधरी ने रायसेन, महेंद्र सिसोदिया ने गुना और हरदीप सिंह डंग ने मंदसौर जिले का प्रभारी बनने की इच्छा जताई है.

कांग्रेस नेता सलूजा ने शिवराज सरकार की ली चुटकी

कांग्रेस नेता नरेंद्र सलूजा ने ट्वीट के जरिए इस पर चुटकी ली है. उन्होंने लिखा, ”भाजपा का झगड़ा सर्वविदित है, किस तरह बिकाऊ और टिकाऊ में झगड़ा है. किस प्रकार गुटबाजी चल रही है. जब से श्रीमंत को भाजपा में प्रवेश मिला है, एक माह बाद 5 मंत्री बना पाए, 100 दिन बाद मंत्रिमंडल विस्तार हुआ फिर विभागों के बटवारे में खींचतान दिखी. अब मंत्रियो के जिला प्रभार को लेकर सिंधिया ने अपना पेंच अड़ा दिया. वह अपने मंत्रियों को पसंद के जिले दिलवाना चाहते हैं. भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं है. कांग्रेस युक्त सरकार तो बना ली है, लेकिन राह आसान नहीं है.”