पहले इन्जेक्शनऔर अब नकली दवाइयों का गोरखधंधा शुरू, हजारो नकली टेबलेट हुईं सप्लाई
उड़ीसा के कटक में कोरोना के संकट काल में नकली दवाई के सप्लाई का मामला सामने आया है, जिसके तार अब मध्य प्रदेश के ग्वालियर से भी जुड़ गए हैं. कटक में पकड़े गए मेडिकल संचालक ने ग्वालियर में सप्लाई होने की बात कही है.
दरअसल, नकली दवा के मामले में कटक से जो मेडिकल संचालक पकड़ा गया है. उसने बताया कि करीब 40 हजार नकली टैबलेट ग्वालियर के मेडिकल स्टोर से सप्लाई की गई हैं. जिसके बाद ग्वालियर के ड्रग इंस्पेक्टर दिलीप अग्रवाल मेडिकल संचालक ने मेडिकल स्टोर पर छापा मारा.
जब्त की गई टैबलेट
बताया कि ग्वालियर ड्रग इंस्पेक्टर दिलीप अग्रवाल ने फेबिमैक्स टेबलेट डीलर महादेव मेडिकल एंड सर्जिकल स्टोर जाकर पता किया मेडिकल स्टोर संचालक ने बताया कि अप्रैल महीने में लगभग 40,000 टेबलेट मंगाई गई थी जिन्हें ग्वालियर- चंबल संभाग के अलग-अलग मेडिकल स्टोर को सप्लाई किया गया है. यह दवाइयां प्रॉपर बिलिंग के साथ थी इसलिए उसको नकली होने की आशंका नजर नहीं आई. ड्रग इंस्पेक्टर को वहां से लगभग 500 टेबलेट बरामद हुई है जिसके बाद 300 से अधिक टेबलेट को सैंपल के लिए आज भोपाल भेजा जाएगा बाकी टैबलेट को जप्त कर लिया है.
रोकी गई दवा की सप्लाई
वहीं ड्रग इंस्पेक्टर ने ग्वालियर चंबल अंचल के सभी मेडिकल स्टोर से दवा सप्लाई की गई है उनको भी फोन के जरिए इस दवा की सप्लाई तत्काल रोकने के निर्देश दे दिए गए हैं. सभी फेबिमैक्स टैबलेट मामले की जांच कर रहे ग्वालियर के ड्रग इंस्पेक्टर दिलीप अग्रवाल का कहना है कि कटक में जो टेबलेट बरामद हुई है वह पूरी तरीके से नकली है और जिस फैक्ट्री में मैन्युफैक्चरिंग बताई गई है हिमाचल में वह फैक्ट्री नहीं है, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कटक में हुई प्रारंभिक जांच में पता चला है इस टेबलेट में कोई भी मॉलिक्यूल नहीं है.
हालांकि ग्वालियर पहुंची टेबलेट की क्या स्थिति है इसका खुलासा जांच रिपोर्ट आने के बाद ही हो सकेगा।चूंकि टेबलेट में कोई मोल्युकुल ही नहीं पाया गया ऐसे में इसे उपयोग करने वाले मरीजों को किसी भी तरह के साइड इफेक्ट की आशंका बेहद ही कम है. हालांकि इस नकली दवा कारोबार के बाद तमाम तरह के सवाल भी खड़े हो रहे हैं कि कोरोना केस आपदा के समय में पूरे देश भर में किस तरीके से इस नकली दवा का कारोबार होता रहा प्रशासन की नजर इस पर क्यों नहीं पड़ी?