Entertainment

‘दुर्गामाती’ और ‘लक्ष्मी’ जैसी फिल्मों की विफलता पर बड़े सवाल, लेखकों ने मांगा निर्माताओं से…….

फिल्म ‘लक्ष्मी’ और ‘दुर्गामती’ की विफलता ने हिंदी सिनेमा को एक सवाल पर फिर से विचार करने को मजबूर कर दिया है कि आखिर हिंदी में मौलिक कहानियां क्यों नहीं मिलतीं? जवाब स्क्रीन राइटर्स एसोसिएशन के पास है. फिल्म, टीवी व वेब शोज लिखने वाले लेखकों की इस सबसे बड़ी संस्था का मानना है कि अगर फिल्म निर्माता मुनाफे में लेखकों की भी हिस्सेदारी तय करें तो लोग लेखन को अपना करियर बनाने के लिए बेहतर तरीके से उत्सुक हो सकते हैं.

स्क्रीन राइटर्स एसोसिएशन जिस कोशिश में लगी है, उससे लगता यही है कि फिल्मों, टीवी धारावाहिकों, वेब फिल्मों और वेब सीरीज के मुनाफे में लेखकों की हिस्सेदारी होने के अच्छे दिन आने वाले हैं. हिंदी फिल्म जगत के बड़े लेखकों को तो कम से कम ऐसा ही लगता है. इंडस्ट्री में एक मॉडल एग्रीमेंट अपनाए जाने की बात अब तक लागू न करा पाई स्क्रीन राइटर्स एसोसिएशन अब अपने हिस्से की रॉयल्टी इकट्ठा करने के लिए कॉपीराइट सोसाइटी बना रही है.
स्क्रीन राइटर्स एसोसिएशन का कहना है कि भारतीय पटकथा लेखकों को दूसरों की तुलना में बहुत कम फीस दी जाती है. इतना ही नहीं उन्हें जो कुछ मिलता है उस पर भी निर्माता बहुत तोलमोल करते हैं और प्रोजेक्ट का कॉन्ट्रैक्ट भी एक तरफा ही रहता है. इसमें लेखकों के हित की कोई बात नहीं की जाती. यह सिर्फ कोई एक नहीं, बल्कि हर स्टूडियो, टीवी नेटवर्क यहां तक कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स भी करते हैं. साल 2012 में ही कॉपीराइट एक्ट में संशोधन करके लेखकों को अधिकार तो मिला लेकिन उन्हें हिस्सेदार नहीं बनाया गया.

स्क्रीन राइटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया से सम्बद्ध लेखकों की इस बारे में लगातार बैठकें हो रही है. स्क्रीन राइटर्स एसोसिएशन ने भी निर्माताओं की यूनियनों प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन प्रोड्यूसर्स काउंसिल, इंडियन मोशन पिक्चर्स प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन के अलावा सभी ब्रॉडकास्टर्स और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स चलाने वालों को इस बारे में बातचीत का न्योता दिया है. स्क्रीन राइटर्स एसोसिएशन फिल्मों में लेखकों को उनकी रॉयल्टी दिलाने के लिए जिस नए कानून की पहल कर रही है, उससे पहले एसोसिएशन इस मसले पर इंडस्ट्री की राय जानना चाहती है.

लेखकों का इरादा निर्माताओं से मोटी फीस वसूलना नहीं, बल्कि सिर्फ बराबरी का सम्मान और रॉयल्टी पाना है. स्क्रीन राइटर्स एसोसिएशन का कहना है कि रॉयल्टी निर्माता नहीं देते, बल्कि यह तो किसी भी प्रोजेक्ट के मुनाफे का एक छोटा सा हिस्सा होता है. कोई भी फिल्म या वेब सीरीज सिनेमाघरों में या फिर जहां भी वह रिलीज होती है, वहां से वह जितना मुनाफा कमाती है उसका एक छोटा सा हिस्सा रॉयल्टी के रूप में सर्वसम्मति के साथ लेखकों को दिया जाए. यह सहयोग और साझेदारी फिल्म इंडस्ट्री के लिए बहुत अच्छी है. हॉलीवुड भी इसी तर्ज पर काम करता है.