पुलिस व भाई के ससुराल वालों के डर से उठाया है कदम, सुसाइड नोट में गंभीर आरोप
जोधपुर: देचू थानान्तर्गत लोड़ता हरिदासोत गांव में पाकिस्तान विस्थापित परिवार के ११ लोगों की मौत के मामले में पुलिस को घटनास्थल से मिले सुसाइड नोट में जोधपुर की मंडोर थाना पुलिस व भाई केवलाराम व रवि के ससुराल वालों पर गम्भीर आरोप लगाए गए हैं. तीन अलग अलग पन्नों में टूटी फूटी हिंदी में लिखे गए नोट में परिवार की तीन बेटियों ने लिखा है कि परिवार पाकिस्तान से बचने के लिए भारत आया था और यहां इज्जत बचाने के लिए जान दे रहे हैं.
पाक विस्थापित परिवार के ११ सदस्यों के शव रविवार सुबह खेत में बने कच्चे मकान (पड़वे) में मिले थे. इसी दौरान पुलिस को सुसाइड नोट भी मिला, लेकिन इसमें क्या लिखा है, पुलिस बताने से कतराती रही. पत्रिका के पास मौजूद इस सुसाइड नोट के एक पन्ने पर परिवार के मुखिया बुद्धाराम की अविवाहित पुत्रियों लक्ष्मी, नर्स का काम करने वाली प्यारी (प्रिया) व सुमरन का नाम अंग्रेजी में लिखा है, जबकि एक पन्ने पर लक्ष्मी व परिवार लिखा है.
लक्ष्मी और परिवार की ओर से लिखे गए नोट में कहा गया है कि उनकी भाभियां और उनके परिवार वाले पाकिस्तान की किसी एजेंसी से मिले हुए हैं. उन लोगों के कारण हमें कहीं सहायता नहीं मिली. यह सोच कर भारत आए थे कि हम बच जाएंगे…पर अफसोस बदा…हमें क्षमा कर दीजिएगा. इसके बाद लक्ष्मी व परिवार लिखा है.
सुसाइड नोड किसी बदा व बागसिंह नामक व्यक्तियों को संबोधित है. इसी नोट के आधे हिस्से में लिखा है कि उनका भाई केवल बड़ा ही डरपोक है. जब हमने यह योजना बनाई तो भाई केवो को कुछ को पता नहीं था. इसलिए हमने भाई को नींद को गोलियां दे दी है. मजबूर होकर इज्जत बचाने के लिए हमें यह कदम उठाना पड़ा. नोट में दोनों से जिंदा बचे परिवार के एक मात्र सदस्य केवलराम का साथ देने की अपील की गई है.
दूसरा नोट दो पन्नों में है. इसमें भी बदा व बागसिंह को संबोधित करते हुए लिखा गया है कि हमारा बाहर जाना बहुत मुश्किल था. चारों ओर पहरा है. ३०-७-२०२० को मंडोर पुलिस ने मुझे कुछ गलत इंजेक्शन दे दी थी. पाकिस्तान से हम बचने के लिए भारत आए थे. जगह जगह पर जिंदगी बचाने को छुपे. मजबूर होकर हमें यह कदम उठाना पड़ा, क्योंकि हमारी इज्जत का सवाल था. पुलिस और वो लोग बहुत खतरनाक हैं, हमें नहीं छोड़ते. एक जगह यह भी लिखा है कि जो कुछ भी किया है, वह हम तीन बहनों ने किया है. इस बारे में भाई केवो को कुछ पता नहीं. हम बहनों ने यह सब पुलिस और उन लोगों के डर से किया है.
टूटी-फूटी हिंदी में सुसाइड नोट तीनों पन्नों पर टूटी फूटी हिंदी लिखी गई है. कई जगह कांट-छांट भी है. कुछ लोगों का कहना है कि इस परिवार को हिंदी लिखनी नहीं आती थी. यह भी संदेह है कि तीनों बहनों ने अपने पास रुके भांजे या भांजी से यह नोट लिखवाया होगा. दोनों भांजा-भांजी भी परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मृत पाए गए थे.
एफएसएल करेगी जांच
पुलिस का कहना है कि सुसाइड नोट की लिखावट की जांच एफएसएल से करवाई जा रही है. अभी इस नोट के बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी.