किसानों पर पड़ रही है दोहरी मार, न मिल रही है खाद और फसलों के उचित दाम
मध्यप्रदेश के अलग अलग जिलों में खाद की किल्लत से किसान परेशान है. एक तरफ रबी की फसल की बुवाई शुरू होने को है और दूसरी तरफ किसान रासायनिक खाद की कमी से जूझ रहे हैं. जानकारी के मुताबिक 52 से 25 जिलों में जरूरत से कम खाद मौजूद है. जिसके चलते खाद पर्याप्त नहीं मिल पा रहा है. जिससे अराजकता का माहौल भी बनता दिखाई दे रहा है. दतिया में तो किसानों के बीच हाथापाई ही हो गई. अलग-अलग हिस्सों में लोग खाद के लिए लंबी-लंबी लाइनें लगा रहे हैं. तो आइये जानते है आखिर क्या कारण हो सकते हैं, जो खाद किल्लत की वजह बन रहा है.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ी कीमत
दरअसल खाद की किल्लत की मुख्य औऱ पहली वजह अंतराष्ट्रीय बाजार में इसकी आसमान छूती कीमतें हैं. चीन ने एक तरफ उर्वरक के एक्सपोर्ट पर अस्थायी रोक लगाई तो दूसरी तरफ बेलारूस के खिलाफ वेस्टर्न इकनॉमिक सेक्शंस के चलते ग्लोबल मार्केट में उर्वरक की कीमतें प्रभावित हुई है. जिसका असर भारत में खाद के आयात पर भी पड़ा है.
अंतराष्ट्रीय बाजार में कीमत बढ़ने के कारण
दरअसल वर्ल्ड मार्केट में टाइट सप्लाई की वजह से फॉस्फोरिक एसिड और अमोनिया की कीमतें बढ़ी हैं. इससे भारतीय उर्वरक उत्पादकों द्वारा इनके आयात पर असर हुआ है. ये दोनों मिट्टी के लिए प्रमुख न्यूट्रिएंट हैं. दरअसल नेचुरल गैस की उच्च कीमतों की वजह से कुछ ग्लोबल अमोनिया मेकर्स ने आउटपुट घटाया है या फिर घटाने पर विचार कर रहे हैं, जिससे वैश्विक बाजारों में अमोनिया की उपलब्धता घटी है और कीमतें बढ़ी हैं.
जमाखोरी भी सबसे बड़ी वजह
आपको बता दें कि यूरिया संकट की वजह केवल आयात में कमी नहीं है. देश में भी यूरिया का उत्पादन गिरा है. अप्रैल-जुलाई में यूरिया का उत्पादन घटकर 78.82 लीटर जो एक साल पहले इसी अवधि में 82.18 लीटर था. इसके अलावा सबसे बड़ी वजह यूरिया और डीएपी की कमी की एक मुख्य वजह जमाखोरी भी है. कुछ प्राइवेट दुकानदार ब्लैक में खादी बेच रहे हैं.
जानिए एमपी में खाद की हालात
एक ओर जहां खाद की किल्लत से अन्नदाता परेशान हैं, वहीं खाद को लेकर सियासत भी गरमाई हुई है. कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पूरी प्रदेश सरकार इस समय चुनावों में व्यस्त है. मुख्यमंत्री से लेकर कृषि मंत्री को किसानों की कोई सुध नहीं है, जबकि बेचारा अन्नदाता खाद के लिए परेशान हो रहा है. अगर जल्द ही खाद की आपूर्ति बहाल नहीं हुई तो आने वाले समय में किसान आत्महत्या करने पर मजबूर होगा. वहीं कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी ने सफाई दी है, कि बीजेपी के पूर्व विधायक घनश्याम पिरौनिया का कहना हैं कि भाजपा की केंद्र और राज्य सरकार किसानों के हितों का हमेशा ख्याल रखती है. मध्यप्रदेश में खाद की आपूर्ति हो रही है. अगर कहीं कोई समस्या है उसे भी हल कर लिया जाएगा.
किसानों ने भी बताई वजह
खाद की किल्लत पर किसानों का कहना है कि जरूरत के मुताबिक खाद नहीं मिल भी रहा है. साथ ही एक किसान को 10 बोरी से अधिक खाद नहीं दिया जा रहा है, जबकि 10 बीघा से अधिक के खातेदार किसानों को प्रति बीघा एक बोरी की आवश्यकता है. वहीं बारिश के पहले जिन किसानों ने खाद लिया था. उनके किताब पर खाद चढ़ गया है. लेकिन अंचल में बारिश के बाद बोई हुई फसल खराब हो गई थी. ऐसे में उन्हें दोबारा खाद की आवश्यकता है, लेकिन अब उन्हें सरकारी सोसाइटी से खाद नहीं मिल पा रहा है. जिससे अन्नदाता परेशान है.