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किसानों के राहत के नाम पर भी बीमा कंपनियां जेब काटने से नहीं चूक रही वहीं सरकार मूक दर्शक की भूमिका बनी

पहले से परेशान किसानों को राहत के नाम पर भी बीमा कंपनियां जेब काटने से नहीं चूक रही हैं. खास बात यह है कि यह जेब सरकारों की छत्रछाया में काटी जा रही है. इस मामले में अफसर किसानों की जगह बीमा कंपनियों के साथ खड़े दिखाई देते हैं और सरकार भी मूक दर्शक की भूमिका में नजर आ रहीं हैं. यही वजह है कि किसानों को भुगतान किए गए प्रीमियम बराबर भी राशि नहीं मिल पा रही है. ताजा मामले सामने आ रहे हैं बैतूल जिले में. यहां एक हजार रुपए से अधिक प्रीमियम जमा करने के बाद जब बीमा राशि का मौका आया तो किसान को सिर्फ एक रुपए का भुगतान हुआ. इसके बाद से किसान पूरी तरह से ठगा हुआ महसूस कर रहा है. ऐसा नही है कि इस तरह का यह कोई पहला मामला है , बल्कि प्रदेश में हजारों किसानों के साथ इसी तरह से मजाक किया जा रहा है. अगर बैतुल जिले के ही किसानों की बात करें तो हजारों किसानों के खातों में 100 या 50 रुपये से भी कम बीमा राशि आई है. बीमा राशि के इस क्रूर मजाक के चलते किसानों में बेहद नाराजगी है.

ढाई एकड़ का मुआवजा एक रुपए

खास बात यह है कि 22 लाख से ज्यादा किसानों को फसल बीमा की राशि देने का ढिढोंरा पीटने वाली सरकार में हास्यास्पद यह है कि कुछ किसानों को महज एक रुपए का ही मुआवजा मिल सका है. बैतूल के गोधना निवासी किसान पूरनलाल ने 1 हजार 50 रुपये बीमा प्रीमियम अदा किया था, लेकिन उन्हें बीमा राशि के रुप में केवल एक रुपए का ही भुगतान किया गया है . इसके बाद से पूरनलाल सदमे की स्थिति में है. पूरनलाल का कहना है कि ढाई हेक्टेयर के रकबे में लगभग एक लाख की फसल खराब हुई, लेकिन उन्हें केवल एक रुपये बीमा राशि दी गई है. अब ये समझ नहीं आ रहा है कि इस राशि पर हंसे या रोएं. इसी तरह से गोधना गांव के ही किसान पवन के मुताबिक उन्हें एक-दो रुपये बीमा राशि उन्हें देकर अपमानित किया गया है, इस राशि को वो सम्मान के साथ सरकार को लौटा देंगे.

कृषि विभाग ने हाथ खड़े किए

इस बीमा राशि को लेकर कृषि विभाग का कहना है कि उनके पास कोई जानकारी नही है. कृषि अधिकारियों का कहना है कि बीमा कम्पनी अपने हिसाब से नुकसान का आंकलन करती हैं. उनका कहना है कि जिन किसानों को 200 रुपये से कम राशि मिली है , उनकी सूची फिर से बीमा कम्पनी को भेज रहे हैं. हालांकि किसानों के खातों में एक रुपये डालने जैसा मजाक क्यों हुआ इसे लेकर जरूर बीमा कम्पनी से पूछा जाएगा.