Indore

इंदौर शहर की पहचान रंगारंग गेर को विश्व की सांस्कृतिक धरोहर का दर्जा दिलाने के लिए शुरू हुए प्रयास

इंदौर की पहचान ऐतिहासिक गेर को विश्व की सांस्कृतिक धरोहर का दर्जा दिलाने के प्रयास फिर शुरू हुए हैं। जिला प्रशासन इसका पूरा रिकॉर्ड एकत्र करवा रहा है। इसके बाद यूनेस्को को प्रस्ताव भेजा जाएगा। 

शहर की ऐतिहासिक गेर को विश्व की सांस्कृतिक धरोहर का दर्जा दिलाए जाने की तैयारियां की जा रही है। इसके लिए जिला प्रशासन और केंद्र सरकार के संस्कृति विभाग के माध्यम से यूनेस्को को प्रस्ताव भेजेगा। गेर संबंधी रिकॉर्ड एकत्र किया जा रहा है। 

इस संबंध में कलेक्टर मनीष सिंह ने स्पष्ट किया कि हम केंद्र सरकार के संस्कृति विभाग के प्रारूप में प्रस्ताव को अंतिम रूप दे रहे हैं। यह दल 31 मार्च को संस्कृति विभाग को प्रस्ताव सौंपेगा। यूनेस्को को प्रस्ताव भेजने से पहले संस्कृति विभाग संकलित किए जाने वाले दस्तावेजों और वीडियो की जांच करेगा। प्रशासन को उम्मीद है कि यूनेस्को द्वारा गेर को अपनी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत श्रेणी की सूची में शामिल किया जा सकता है, क्योंकि न केवल इंदौर के लोग, बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों के प्रतिभागी इसमें भाग लेते हैं। इसमें दुनियाभर से लोगों को आकर्षित करने की क्षमता है और स्थानीय प्रशासन भी उसी के अनुसार उनका स्वागत करने के लिए तैयार है। बता दें कि बरसों पुरानी परंपरा के तहत इंदौर में गेर निकाली जाती है। राजबाड़ा क्षेत्र में रंगों का हुजूम उमड़ता है। इस बार तो सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए गए और करीब पांच लाख लोग गेर में शामिल हुए थे। इंदौर की इस गेर को सांस्कृतिक विरासत श्रेणी की सूची में शामिल करवाने के लिए दो साल पहले प्रयास शुरू किए गए थे। वर्ष 2020 में तत्कालीन कलेक्टर लोकेश कुमार जाटव ने प्रस्ताव का मसौदा तैयार करवाया था। गेर के जुलूस की वृत्तचित्र फिल्म बनाकर इसे अमूर्त सांस्कृतिक विरासत श्रेणी सूची में नामांकित करने के लिए यूनेस्को को भेजने की विस्तृत योजना बनाई थी। बाद में कोरोना के कारण बात आगे नहीं बढ़ सकी और दो साल तक गेर नहीं निकली। अब फिर से उम्मीद जागी है और प्रशासनिक अधिकारी भी सकारात्मक परिणाण की आशा जता रहे हैं।