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डोंट अंडरएस्टीमेट डा पावर ऑफ़ दिग्विजय सिंह

भोपाल: शेर बूढ़ा हो या जवान शेर शेर ही रहता है. जी हाँ हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बारे में. दिग्विजय सिंह मध्‍य प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री होने के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी के वरिष्‍ठ नेता भी हैं. दिग्विजय सिंह वो नाम है जिसे राजगढ़-ब्यावरा बेल्ट में आज भी राजा साहब बुलाया जाता है. ये वो नाम है जिसे सुना कर बीजेपी आज भी अपने नेताओं को डराती है.

28 फरवरी 1947 को जन्म. बचपन में खूब हॉकी, फुटबॉल और क्रिकेट खेला. बाद में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. पिता बलभद्र सिंह 1952 में राघोगढ़ से विधायकी जीते थे तो मन में ठान लिया था की मैदान में राजनीती का दांव तो जरूर खेलना है फिर क्या हुआ, पर्चा निर्दलीय भरा था, लेकिन उन्हें हिंदू महासभा का समर्थन मिला हुआ था लेकिन उसके बाद भी वो 25 की उम्र में कांग्रेस में चले गए थे. कारण ये था की वो देश में आंतरिक कला को बढ़ावा देने वाले किसी भी प्रोपोगेंडा का हिस्सा नहीं बनना चाहते थी और देश की सेवा सच्चे दिल से करना चाहते थे. दिग्विजय ने भी पिता की तरह नेतागिरी की. 22 की उम्र में राघोगढ़ से निर्दलीय नगरपालिका का चुनाव जीत लिया, किसी को हैरानी नहीं हुई क्योंकि पिता के गुणों से दिग्विजय सिंह धनी थे.

टैलेंट वो भी खेल कूद का

खेल की बात करें तो उन्‍होंने क्रिकेट, हॉकी, स्क्वैश और टेनिस में इंदौर विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व किया, और सेंट्रल इंडिया स्क्वैश चैम्पियनशिप भी जीती. एक लाइन में बोले तो सारी प्रतिभाओं के धनी हैं दिग्विजय सिंह. एक ऐसा नाम जो अपने आप में चैंपियन है चाहें राजनीति की बात करें या खेलकूद की.

दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे तो 10 सालों तक वहां से हिले नहीं

‘1993-98 का उनका पहला कार्यकाल बड़े नामों और पार्टी के अंदर ही अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों से जूझने में बीता. लेकिन जब 1998 के चुनावों में फिर से कांग्रेस उनके नेतृत्व में जीती तो प्रदेश और पार्टी में उनका कद बढ़ गया. वर्ष 2000 आते-आते प्रदेश विभाजन के बाद शुक्ला बंधु और मोतीलाल वोरा छत्तीसगढ़ निकल गए. माधवराव सिंधिया का निधन हो गया. इस बीच, अर्जुन सिंह ने भी अपना नया राजनीतिक दल बना लिया था. कांग्रेस की इतनी उठापटक होने बाद दिग्विजय सिंह को मध्य प्रदेश का जिम्मा सौंप दिया जिसे उन्होंने मिसाल के तौर पर देश के सामने रखा.

मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान मध्य प्रदेश में कई महत्वपूर्ण पहलें कीं. जिनके चलते आम नागरिकों, विशेष रूप से गरीबों और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले वंचितों के सशक्तिकरण, भागीदारी और सुधार की मांग की. इन पहलों में पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) की स्थापना और महत्वपूर्ण ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के प्रबंधन के लिए पीआरआई को अनेक शक्तियां और संसाधन उपलब्ध कराना शामिल है. शिक्षा गारंटी योजना (ईजीएस) के माध्यम से प्राथमिक और प्राथमिक शिक्षा तक सार्वभौमिक पहुंच; मध्य प्रदेश में अस्पताल सेवाओं और स्वास्थ्य वितरण प्रणाली में सुधार के लिए एक सहभागितापूर्ण जलग्रहण विकास कार्यक्रम, एक जिला गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम, रोग कल्याण समिति और जन स्वास्थ्य रक्षक-अग्रिम सरकारी प्रणाली; इनमें शामिल है. उन्होंने भारत में पहली बार टोल सड़कों के लिए भी पहल की. पहला एसईजे़ड इंदौर, मध्य प्रदेश में उनके शासन के दौरान स्थापित किया गया. नर्मदा जलविद्युत परियोजनाएं पूरी हुईं और नई पीढ़ी के बिजली केंद्र स्थापित किए गए और मध्य प्रदेश में बिजली सुधार किए गए.

दिग्विजय सिंह एक ऐसे नेता हैं, जो अपने आप में एक भारी भरकम शख़्सियत हैं जिनसे आज भी कांग्रेस बिना सलाह मशवरा के काम नहीं करती है. आज दिग्विजय सिंह कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा हैं जो कांग्रेस को उठा के रखे हुए है. दिग्विजय सिंह का कहना है की कांग्रेस पार्टी उनके रक्त में बहती है जो उन्हें हर दिन चुनौतियों का सामना करना सिखाती है. कहना ये गलत नहीं होगा की उम्र चाहे कितनी भी हो जाये एक नेता कभी रिटायर नहीं होता है. वो ज़िंदगी की हर एक सांस तक देश के बारे में सोचता है और ऐसे ही हैं हमारे दिग्विजय सिंह