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रौनक लायी ये दिवाली, घर-घर पूजे गये गोवर्धन

ग्वालियर: पांच दिवसीय दीपाेत्सव की धूम जारी है. दीपावली के अगले दिन रविवार काे गाेवर्धन पूजा की जाती है. सुबह सुुरती की पूजा के साथ ही फिर आतिशबाजी का दाैर शुरू हाे गया. घर-घर में गाेवर्धन पूजा की गई. विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्राें में इस पूजा का विशेष महत्व है. यहां पर पूरे गाव में गाय के गाेबर से बड़े गाेवर्धन की आकृति बनाई जाती है. इसी की पूजा पूरा गांव करता है.

दीपावली की रात काे बड़ा दीया जलाया जाता है. अगले दिन रविवार सुबह जब तक सुरती की पूजा नहीं हाेती है, इस दीये काे जलाए रखा जाता है. घर की महिलाओं ने सुबह जल्दी उठकर सुरती माता की पूजा अर्चना की. इसके साथ ही शहर में फिर से आतिशबाजी का दाैर शुरू हाे गया. ग्रामीण क्षेत्राें में ताे सुबह से ही गाेवर्धन पूजन शुरू हाे गया, जबकि शहर में सुबह 11 बजे बाद पूजा अर्चना की शुरुआत हुई. घर-घर में गाेबर से गाेवर्धन जी की आकृति बनाई गई. इसके बाद परिवार के सभी सदस्याें ने एक साथ बैठकर पूजन किया.

पूरे गांव के एक गाेवर्धन-ग्रामीण क्षेत्राें में गाेबर के बड़े गाेवर्धन जी की आकृति बनाई जाती है. इसके बाद पूरे गांव के लाेग अपने समयानुसार वहां पहुंचकर पूजन करते हैं. ग्वालियर चंबल अंचल में यह परंपरा सालाें से चली आ रही है.

गले मिलकर दी शुभकामनाएं-दीपावली के अगले दिन लाेग अपने परिचित, मित्राें व रिश्तेदाराें के घर पहुंचे आैर उनकाे गले मिलकर दीपावली की शुभकामनाएं दी. दिन भर बधाई का सिलसिला जारी रहा.

व्यापार काे मिला बूस्टर डाेज-काेराेना संक्रमण के कारण ठंडे चल रहे व्यापार काे भी दीपावली के कारण संजीवनी मिल गई. दीपावली पर तीन दिन की खरीदारी ने व्यापारियाें के लिए बूस्टर डाेज का काम किया है. लश्कर, ग्वालियर व मुरार तीनाें ही शहराें के बाजाराें में त्याेहार के चलते खासी भीड़ रही है. इससे बेहतर काराेबार की उम्मीद भी जागी है.

कागजाें में सिमटा प्रतिबंध का आदेश-आतिशबाजी प्रस्फाेटन काे लेकर जारी आदेश भी महज कागजाें में ही सिमटकर रह गया. दीपावली पर देर रात तक पटाखाें की गूंज सुनाई देती रही है. प्रशासन व पुलिस की सख्ती भी कहीं नजर नहीं आई.