Gwalior newsMadhya Pradesh

दुविधा : विधायकी गई और मंत्री भी नहीं बने

भोपाल। मध्यप्रदेश की राजनीति में इस समय इतने रंग देखने को मिल रहे है जितना किसी ने शायद सोचा भी नहीं होगा। मध्यप्रदेश में पहली बार विधानसभा का सदस्य नहीं होने के बावजूद इतनी बड़ी संख्या में मंत्रियों को शपथ दिलाया गया है।  ये वो नेता हैं जो  पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में शामिल हुए थे।


कांग्रेस छोड़कर आए 22 नेताओं में से 14 तो मंत्री बन गए हैं लेकिन आठ ऐसे हैं जिनकी विधायकी तो गई ही मंत्री पद भी नहीं मिला। इन नेताओं पर दोहरी मार पड़ रही है। पहले विधायकी गई और मंत्री भी नहीं बनने के बाद अब उपचुनाव जीतने की चुनौती है।
सिंधिया के जिन समर्थकों को मंत्री बनने का अवसर नहीं मिला उनमें 2018 में कांग्रेस के टिकट पर अंबाह से चुनाव जीते कमलेश जाटव, अशोक नगर से जजपाल सिंह जज्जी, करेरा से जसवंत जाटव, ग्वालियर पूर्व से मुन्ना लाल गोयल, गोहद से रणवीर जाटव, भांडेर से रक्षा सरैनिया, मुरैना से रघुराज सिंह कषाना और हाट पिपल्या से मनोज चौधरी हैं।


इनमें केवल रणवीर जाटव को छोड़कर बाकी सभी पहली बार विधानसभा में पहुंचे थे और सिंधिया के प्रभाव में कांग्रेस छोड़ दी थी। अब इनकी मुश्किलें कई मोर्चों पर बढ़ गई है। मसलन, हाट पिपल्या में मनोज चौधरी ने भाजपा के दीपक जोशी को चुनाव हराया था। पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के पुत्र और पूर्व मंत्री दीपक जोशी इन दिनों खफा-खफा से चल रहे हैं। अगर उनका खुलकर सहयोग नहीं मिला तो मनोज के लिए मुश्किल होगी। यही हाल बाकी क्षेत्रों में भी है।


इन नेताओं को यह भी डर सता रहा है कि कहीं राजनीति करते करते वो ही राजनीति के शिकार न हो जाए और राजनीति में उनका सूरज अस्त ना हो जाए।