राजमाता का निधन : नेपाल की राजकुमारी से ग्वालियर की राजमाता तक का सफर, सिंधिया परिवार की आधार स्तम्भ थी माधवी राजे…
ग्वालियर : केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की माँ राजमाता माधवी राजे सिंधिया का आज बुधवार 15 मई को निधन हो गया वे करीब तीन महीने से दिल्ली AIIMS में भर्ती थी, वे कुछ दिनों से वेंटिलेटर पर थी, उन्हें निमोनिया और सेप्सिस नामक बीमारी थी। बताते हैं उन्होंने 9:30 बजे अंतिम साँस ली, वे करीब 70 साल की थी, अंतिम समय में उनके पास उनका पूरा परिवार था। राजमाता माधवी राजे के निधन से ग्वालियर सहित पूरे देश में शोक की लहर है, सिंधिया परिवार के लोग और सिंधिया समर्थक गमगीन हैं..आइये जानते हैं नेपाल की एक राजकुमारी का राजमाता बनने तक के सफ़र के बारे में ..
नेपाल की प्रिंसेस किरण राजलक्ष्मी बनी सिंधिया परिवार की बहू
नेपाल के शाही परिवार में जन्मी प्रिंसेस किरण राजलक्ष्मी के दादा शमशेर बहादुर सिंह नेपाल के प्रधानमंत्री भी रहे, ग्वालियर के सिंधिया परिवार की बहू बनकर प्रिंसेस किरण राजलक्ष्मी माधवी राजे सिंधिया हो गई, उनकी शादी ग्वालियर के महाराज, पूर्व केंद्रीय मंत्री माधव राव सिंधिया के साथ 8 मई 1966 को दिल्ली में हुई थी।
शादी से पहले देखना चाहते थे माधवराव
महल से जुड़े लोग बताते रहे हैं कि जब राजमाता विजया राजे सिंधिया अपने बेटे माधव राव की शादी के लिए लड़की का चयन कर रही थी तब नेपाल राजघराने से प्रिंसेस किरण का रिश्ता आया था, उनकी तस्वीर देखने के बाद माधवराव सिंधिया शादी से पहले उन्हें देखना चाहते थे लेकिन परिवार ने इसके लिए स्वीकृति नहीं दी। जिसके बाद माधवराव को बिना देखे ही शादी करनी पड़ी थी। इस शादी की खास बात यह है शादी दिल्ली में होना तय हुई थी, बारात ग्वालियर से दिल्ली जानी थी जिसके लिए स्पेशल ट्रेन ग्वालियर से दिल्ली के लिए चलाई गई थी।
पति माधव राव के निधन के बाद सिंधिया परिवार को अच्छे से संभाला
माधव राव सिंघिया को महाराज कहकर संबोधित किया जाता था इस लिहाज से माधवी राजे को महारानी संबोधित किया जाता था, लेकिन 30 सितम्बर 2001 को विमान दुर्घटना में माधव राव सिंधिया के निधन हो गया और परिवार की जिम्मेदारी उनके ऊपर आ गई। हालाँकि तब तक बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया और बेटी चित्रांगदा अपना अपना परिवार बसा चुके थे लेकिन माधवी राजे ने दोनों बच्चों और पूरे सिंधिया परिवार को महाराज की कमी नहीं होने दी। माधव राव के निधन के बाद महाराज की पदवी ज्योतिरादित्य सिंधिया को सौंपी गई, विधि विधान से सिंधिया परिवार के हनुमान मंदिर में कार्यक्रम हुआ और उसके बाद माधवी राजे का संबोधन महारानी से राजमाता हो गया।
माधवी राजे को रास नहीं आई राजनीति
माधवी राजे सिंधिया जब सिंधिया परिवार की बहू बनकर नेपाल से ग्वालियर आई तो यहाँ माहौल शाही और सियासी दोनों था, माधवी राजे की सास राजमाता विजया राजे सिंधिया ने 1957 में ही राजनीति की तरफ कदम बढ़ा दिए थे, वे कांग्रेस से सांसद चुनी गई लेकिन करीब 10 साल बाद उन्होंने जनसंघ ज्वाइन किया और उसकी संस्थापक सदस्य बन गई, बाद में विजयाराजे सिंधिया भाजपा की संस्थापक सदस्य रही। राजमाता विजया राजे के लंबे राजनीतिक अनुभवों के बीच मिले परिवार के संस्कार, रीति रिवाज और परंपरा में से माधवी राजे ने परिवार और संस्कार चुने राजनीति उन्हें रास नहीं आई।
सियासत नहीं संभाली लेकिन परिवार के साथ खड़ी रहीं
सास राजमाता राजे की विरासत को उनकी बेटियों वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे, बेटे माधव राव और उसके बाद पोते ज्योतिरादित्य ने आगे बढाया, वसुंधरा राजस्थान की मुख्यमंत्री बनी, यशोधरा मप्र सरकार की मंत्री बनी, पति माधव राव केंद्र सरकार के मंत्री रहे और अब बेटा केंद्र सरकार का मंत्री है। सियासत में खास रुचि नहीं होने के बावजूद माधवी राजे हमेशा परिवार के इन सदस्यों के साथ खड़ी दिखाई दी, चुनावों में प्रचार के दौरान भी ये दिखाई दी लेकिन सक्रिय राजनीति में नहीं आई।
सिंधिया परिवार की छत्री में होगा अन्तिम संस्कार
राजमाता माधवी राजे सिंधिया का अंतिम संस्कार ग्वालियर में सिंधिया परिवार की कटोरा ताल रोड स्थित छत्री पर किया जायेगा, सिंधिया महल के कर्मचारियों ने अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू कर दी है, पति माधव राव सिंधिया की छत्री के पास चबूतरे का निर्माण किया जा रहा हैं, उनकी पार्थिव देश दिल्ली से ग्वालियर लायी जाएगी, जानकारी के मुताबिक कल गुरुवार को अंतिम संस्कार होगा लेकिन अभी महल से इस सम्बन्ध में अधिकृत जानकारी नहीं आई है।