अफसरों की लापरवाही से करोड़ों का गेहूं हुआ खराब
भोपाल: एक ओर भाजपा सरकार अपने आप को किसान हितैषी सरकार बताने में गुरेज नहीं करती वहीं प्रदेश के किसानों की समस्याएं खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं. किसानों का गेहूं का पेमेंट पांच महीने बाद भी नहीं मिला. इससे किसानों की परेशानी और बढ़ गई है। हालांकि इसके लिए हर हफ्ते किसान केंद्रों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन केंद्रों द्वारा आजकल में पेमेंट का कहकर भगा दिया जाता है. वहीं प्रदेश में सोयाबीन की फसल इल्लियों ने चौपट कर दी है. ऐसे में गेहूं के पैसे का ही सहारा बचता है. यही कारण है कि किसान पैसे के लिए एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर चक्कर काट रहा है। दूसरी ओर इसी दरमियान पहले से चढ़े कर पर 70 हजार रुपए का ब्याज और बढ़ गया है. हालांकि यह समस्या किसी एक किसान की नहीं है बल्कि समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने वाले हर उस किसान की है जिसने खरीदी की तारीख बढ़ाई जाने के बाद गेहूं बेचा है. दरअसल अपेक्स बैंक और नागरिक आपूर्ति निगम के बीच चल रही रस्साकशी के नतीजे में किसानों का भुगतान नहीं हो पा रहा है. अपेक्स बैंक का कहना है कि उसकी जिम्मेदारी खरीदी करने की थी. खरीदी केंद्रों से गेहूं का 72 घंटे में उठाव करके भुगतान नागरिक आपूर्ति निगम को करना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं किया गया. जिसका परिणाम ये निकला कि डेढ़ लाख मैट्रिक टन से ज्यादा गेहूं का उठाव नहीं हो सका. जिस वजह से इसमें से करीब 20 हजार मैट्रिक टन गेहूं बारिश से खराब हो गया. दूसरी ओर नागरिक आपूर्ति निगम का तर्क है कि जो एफएक्यू 1 क्वालिटी का गेहूं उसके गोदामों तक पहुंच गया तो उसका ही पेमेंट किया जाएगा. जो गेहूं गोदामों तक नहीं पहुंचा या जो भेजने से खराब हो गया है उसके लिए निगम जिम्मेदार नहीं है. बहरहाल इस पूरे मामले में अपेक्स बैंक के प्रबंध संचालक प्रदीप नीखरा और नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंध संचालक अभिजीत अग्रवाल अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने का प्रयास कर रहे हैं.
गेहूं खरीदी एक नजर में
कुल एक करोड़ 30 लाख टन गेहूं खरीदा गया जिसका 27 हजार करोड़ रुपए का भुगतान हुआ. 15 अप्रैल से 30 मई तक हुई खरीदी हुई. बारिश में भीगने से 150 लाख टन गेहूं खराब हुआ जिसकी कीमत करीब तीन करोड़ 22 लाख 50 हजार रुपए का है.
अपेक्स बैंक के आंकड़े
कुल 4527 उपार्जन केंद्रों के माध्यम से गेहूं की खरीदी की गई. जिसमें एक लाख 29 हजार टन गेहूं खरीदा गया तथा इसके अंतर्गत 16 लाख किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीदी की गई.
राजस्व विभाग की टीमें ले रही फसलों के नुकसान का जायजा बीते दिनों कलियासोत, बेतवा, केरवा अन्य नदियों और नालों में एक साथ उफान आने से पूरे क्षेत्र में बाढ़ के गंभीर हालात बन गए. इससे सरकारी और निजी संपत्तियों को भारी नुकसान पहुंचा है. इन नदियों के आसपास के करीब चार सौ गांव में एक लाख तीस हजार हेक्टेयर रकबे की फसलें खराब हो गई. अब प्रशासन ने गांव-गांव दल भेजकर सर्वे का काम शुरू कराया है. वही पीड़ित लोगों की मदद के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं. हाल ही में राजस्व विभाग की टीमों ने ग्रामीण इलाकों में पहुंचकर फसल के नुकसान का जायजा लिया. सूत्रों की खबर के मुताबिक बेतवा की बाढ़ ने फसलों को पूरी तरह तबाह कर दी. वहां लगाई गई धान की फसल दो महीने की हो गई थी. बेतवा में आई बाढ़ के कारण 48 घंटे तक क्षेत्र में 100 हेक्टेयर रकबे की फसल डूबी रही. जब बाढ़ का पानी उतरा तो धान पर मिट्टी का रेसा छोड़ गया इससे धान की फसल उस के वजह से दबकर आई हो गई गांव के किसान एक किसान ने बताया कि 70 एकड़ जमीन में धन लगाई थी उनकी 40 एकड़ की फसल पूरी तरह से नष्ट हो गई क्षेत्र में अतिवृष्टि से फसलों को हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए राजस्व विभाग ने ग्रामीण इलाकों में पहुंचकर फसल नुकसान का जायजा लिया है भोजपुर में भी राजस्व विभाग तहसीलदार और राजस्व विभाग की टीम द्वारा आस-पास के गांव में क्षतिग्रस्त हुई फसलों का मुआयना किया. अधिकारियों ने बताया की ग्राम गुराडिया, पढोनिया, बमुलिया, पवार, बरखेड़ा सेतु, कोमड़ी और बिठौरी सहित कई गांवों में पहुंचकर नुकसान का जायजा लिया गया है.
मुख्यमंत्री ने किया फसलों के नुकसान का मुआयना
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं. वे अधिकारियों के साथ किसानों की फसलों के नुकसान को भी देख रहे हैं. मुख्यमंत्री ने बताया कि मध्य प्रदेश में भारी बारिश और बाढ़ से सात लाख हेक्टेयर में फसलें बर्बाद हो गई हैं. संपत्ति के नुकसान के आंकलन में अभी समय लगेगा, हमारे सामने दोबारा पुनर्वास की चुनौती है. प्रदेश में संपत्ति और फसलों को भारी नुकसान हुआ है .