अस्पतालों में ऑक्सीजन की डिमांड दोगुनी होने से संकट गहराया
भोपाल। कोरोना काल में प्रदेश के अस्पतालों में ऑक्सीजन की मांग दोगुनी हो जाने से मेडिकल ऑक्सीजन की किल्लत हो गई है। देवास, जबलपुर, ग्वालियर, शिवपुरी समेत कई जिलों में मंगलवार-बुधवार को यह दिक्कत आई है। देवास के अमलतास अस्पताल में कोरोना मरीज 7 घंटे तक ऑक्सीजन के लिए परेशान रहे।
ऑक्सीजन किल्लत का कारण महाराष्ट्र से सप्लाई रोक दिया जाना है। अस्पतालों में जुलाई में हर दिन 40 टन तो अगस्त में 90 टन ऑक्सीजन लगी। मप्र की मेडिकल ऑक्सीजन की डिमांड छत्तीसगढ़, गुजरात और महाराष्ट्र पूरी करते हैं लेकिन प्रदेश में अभी कोविड के एक्टिव केस 17700 से ज्यादा होने, इनमें भी 20% मरीज ऑक्सीजन पर होने के कारण मांग बढ़ी है।
सितंबर में हर दिन 1500 से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं और हर दिन ऑक्सीजन खपत 130 टन हो गई है। यदि रफ्तार ऐसी ही रही तो सितंबर अंत और अक्टूबर मध्य तक प्रतिदिन की खपत 150 टन तक पहुंचने की संभावना है। फिलहाल महाराष्ट्र की कमी दूर करने के लिए छत्तीसगढ़ के भिलाई स्टील प्लांट से ज्यादा ऑक्सीजन मांगी गई है। सरकार राज्य की 11 फैक्ट्रियों से ऑक्सीजन लेगी। फिर उसे रिफाइन कर चिकित्सीय उपयोग में लाएगी। प्रदेश में 44.5 टन ऑक्सीजन हर दिन बनती है, लेकिन इसका उपयोग उद्योग करते हैं।
उद्योगों को हिदायत : खपत घटाएं, पहली जरूरत मेडिकल के लिए रखें
- सभी जिलों व अस्पतालों में ऑक्सीजन पर निगरानी के लिए आईएएस धनराजू एस को नोडल अफसर बनाया है। मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य मोहम्मद सुलेमान और उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव संजय शुक्ला उद्योगों से संपर्क में हैं।
- सभी इंडस्ट्री से कहा है कि वे खपत घटाकर ऑक्सीजन पहले मेडिकल के क्षेत्र के लिए रखें। संभागीय आयुक्त स्थानीय स्तर पर ऑक्सीजन की संभावनाएं टटोलें।
- 3 कलेक्टर अविनाश लवानिया ने ऑक्सीजन सप्लायर्स से कहा- पहली जरूरत मेडिकल के लिए रखें। कमी न पड़े।
- 4 प्रदेश में 160 टन ऑक्सीजन स्टोरेज क्षमता है। अभी हर दिन की उपलब्धता 130 टन ही है। 16 हजार सिलेंडर हैं, जिसमें नौ हजार के जंबो सिलेंडर हैं। जंबो सिलेंडर में 7 क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन आती है। जबकि बाकी सिलेंडरों में 1.5 क्यूबिक मीटर।
देवास में 7 घंटे मरीज परेशान
देवास : अमलतास अस्पताल को देवास, उज्जैन, शाजापुर और आगर मालवा का कोविड सेंटर बनाया गया है। यहां कोरोना मरीजों को मंगलवार रात 2 से बुधवार सुबह 9 बजे तक नॉन इन्वेसिव वेंटिलेटर से कम मात्रा में ऑक्सीजन मिली। इससे हड़कंप मच गया। सीएमएचओ डॉ. एमपी शर्मा ने बताया कि मंगलवार को 156 मरीज भर्ती थे और ऑक्सीजन के 400 सिलेंडर थे। रात में फिलिंग के लिए 150 सिलेंडर की गाड़ी भोपाल से आते समय खराब हो गई थी। इसलिए वैकअप के 200 सिलेंडर से काम चलाना पड़ा। इनमें प्रेशर कम था, इसलिए मरीजों को सांस लेने में दिक्कत आई।
ग्वालियर : शहर में 1400 और शिवपुरी में 160 सिलेंडर मौजूद हैं, लेकिन स्थानीय स्तर री-फीलिंग में दिक्कत थी। भिंड में भी मंगलवार से पहले ऑक्सीजन की कमी आ गई थी, जो देर रात ठीक हुई।
जबलपुर : निजी अस्पतालों में सिलेंडर कम पड़ने लगे हैं। डिमांड 60 प्रतिशत तक बढ़ गई है। तीन गुना ज्यादा तक खपत हो रही है। शहर में ऑक्सीजन सिलेंडर के दो प्लांट हैं, जिनकी आम दिनों में रिफिलिंग क्षमता लगभग दो हजार सिलेंडर की है। इनमें एक प्लांट ही प्रोडक्शन कर रहा है।